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बेबसी
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रेत पर फिर इबारत लिखने को मन कर रहा है
हवा का तेज झोंका उसे मिटाने की सोच रहा है... Read more
बिगड़े हालात वजह न थे जिनके यहां आने की कभी
आज धूल के गुबार उड़ाता उनका काफिला आ रहा है
अफरातफरी मची है हर ओर हमदर्द बनने की पहल ... Read more
रावण , मेघनाद और कुम्भकर्ण
पुतले के दहन से
असत्य पर सत्य की
जीत मानकर सभी आनन्दित हैं ........
बेखबर हैं सभी
अपने ही... Read more
बादल
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पनप रहे हैं कैक्टस
बंजर हो रही धरा पर
काले और सफेद बादल साथ में
बरसने लगते हैं देखकर
पनपते हुए कैक्टस वहां...... Read more
सौदा
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बिकता होगा कोई इंसान किसी कीमत पर यहां
नादां हैं मुझसे इंसानियत का सौदा करने आए हैं
कर ही न सके जो सौदा मेरे ... Read more
तस्वीरें
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एल्बम में ये तस्वीरें
सिर्फ तस्वीरें ही नहीं हैं
ये हैं गुजरा वक़्त और
उसके यादगार लम्हे
गुजरा वक़्त ... Read more
फ़ज़ा
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बदल रही है फ़ज़ा घाटी की
बादलों की ओट से निकल कर
मुस्कुराता हुआ सूरज
बिखेर रहा है
लालिमा चारों ओर
चमन फिर से गुल... Read more
रिश्ता
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गायब हो गई है गहराई अब इंसानी रिश्तों में
कल लगाया रंग भी आज फीका पड़ गया है
बेखौफ़ चलता रहा कांटों भरी रा... Read more
सौदा
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बिकता होगा कोई इंसान किसी कीमत पर यहां
नादां हैं मुझसे इंसानियत का सौदा करने आए हैं
कर ही न सके जो सौदा मेरे ... Read more
जमकर बरसा आवारा बादल
नहीं भिगो पाया आँचल मेरा
हां,आंसुओं से भीगा आँचल मेरा
संभालकर रखे हैं
कुछ आंसू बिखरने से बचाकर
इन आंसुओं म... Read more
आँचल
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आवारा ही तो है बादल
जमकर बरसा
फिर भी
नहीं भीगो पाया आँचल मेरा
हां, आँचल मेरा
आंसुओं से भीगा
संभालकर रखे ह... Read more
पहेली
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प्रकाश और अंधकार
समय के अंतराल पर
एक दूसरे को
अपने आँचल में समेटते..........
कभी धूप और कभी छाँव
पल-पल इम्त... Read more
सफ़र
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खुशी और गम के छोर
उनके बीच वक़्त के
नाजुक धागे से बंधी
कुदरत का नायाब तोहफ़ा
खूबसूरत ज़िंदगी.........
वक़... Read more
नसीब
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जब भी देखता हूँ आईना
वक़्त से पहले
बालों से गुजरती सफ़ेदी
और आईना पूछने लगते हैं
मुझसे मेरा गुनाह और... Read more
स्थायी
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नहीं मानता कि
कुछ भी स्थायी नहीं है
दुनिया में
मेरे कुछ अपनों की दुनिया में
देखता आ रहा हूं बरसों से
सब... Read more
मजदूर दिवस
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चिलचिलाती धूप या मूसलाधार बारिश
या शरीर कंपकपाती ठंड
सबसे बेपरवाह
सुनाई देती है आवाज चौतरफा
कह... Read more
ताल्लुकात
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नहीं करना चाहता है वह
सामाजिक रिश्तों में देकर
वक़्त जाया अपना
देकर तवज्जो सामाजिक रिश्तों पर
फुरसत... Read more
वजूद
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करता है इंसान ताउम्र गुरुर शोहरत पर अपनी
वक़्त औ हालात हमेशा मुस्तक़िल भी नहीं रहते
मुगालते में रहता है त... Read more
मायने
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कमरे की खुली खिड़की से
घुसपैठ करता रहता है उजाला
करने को दूर अंदर का अंधेरा
बेबस है नहीं कर सकता दूर
मेरे अंदर ... Read more
मंज़र
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ज़िंदगी में मंज़र बदलते हर दौर को हमने देखा है
इम्तेहाने ज़िंदगी में अपनों को पराया ... Read more
मुहब्बत
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निशाँ है हमारी मुहब्बत के हिज़्र के बाद भी वहाँ
ज़िंदगी में एक बार वह मक़ाम मुड़कर तो देखो
नहीं छोड़... Read more
तन्हा
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शोर मचाती हुई तेज रफ़्तार से
आकर टकराती हैं साहिल से
समन्दर की मौजें
बिखरकर लौट जाती हैं खामोशी से.....
अब अपन... Read more
अमानत
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महफूज़ है
मेरी बंद हथेलियों में
तुम्हारी आंख से ढुलके
अनमोल अश्क
जो अमानत हैं तुम्हारी
संभालकर रखे थे तुमन... Read more
इन्तहा
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बहुत कुछ दरक गया है मेरे अन्दर
देखकर,सुनकर
पल भर में बेजान होते इंसानी जिस्म
वातावरण में फैलती बारुदी गंध
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खुदगर्ज़
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आईने में अक्स बढ़ती उम्र का हिसाब मांग रहा है
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खुदगर्ज़
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आईने में अक्स बढ़ती उम्र का हिसाब मांग रहा है
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