Copy link to share
मनभावन
वर्षा का मौसम
जिया हर्षाए
सुधा भारद्वाज"निराकृति
विकासनगर उ०ख० Read more
हम नन्ही-नन्ही सी कलिकाएं।
हर बगिया को हम ही महकाएं।
जहाँ रख दें कदम भये उजियारा।
हर आँगन को हम ही चहकाएं।
आज स्थिति कुछ संवरी... Read more
ऐहसास
ऐहसास मत पूछिए...
उस वल्लरी का...
उस बेल के बारे में ही...
सुना है मैने किसी न किसी...
को सहारा बना बढती है...
वृक्ष स... Read more
हम
बहती मैं भी...
लिए उमंगे...
नित संग लाती...
नव अभिलाषा....
नव सृजन...
नव तरंग संग...
नित भरती जीवन मे रंग...
होते फलित... Read more
जीर्ण शीर्ण सी स्मृतियों पर नन्हे कदमो की दस्तक।
जय हो पूर्ण उद्बार हो उसका सदा ऊँचा करे जग में मस्तक।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उ... Read more
जीर्ण शीर्ण सी स्मृतियों पर नन्हे कदमो की दस्तक।
जय हो पूर्ण उद्बार हो उसका सदा ऊँचा करे जग में मस्तक।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उ... Read more
तेरे प्रथम चरण की आहटे याद है मुझें।
हृदय हरषाया बहुत जब मैने पाया तुझे।
कृष्ण से घुंघरालें वो केश बिसरे नही मुझें।
अंतस प्रसन्न ... Read more
नया-साल कुछ इस तरह मनाया जाए।
बे-सहारा को दे सहारा-सहारा बनाया जाए।
गुलशन-ए-नग्मा सजाया जाए।
कोई नग्मा-ए-वफा गाया जाए।
शर्म ... Read more
माँ तेरी छवि तेरा स्वरूप।
मैं ही हूँ तेरा अतिलघु रूप।
मेरी हर अदा तुझसी तो है।
चाहूं तुझे छाँव हो या धूप।
सुधा भारद्वाज
विकास... Read more
रिश्वत (लघुकथा)
(सात वर्षीय नॉटी मम्मा से)
मम्मा आपको मेरा नाम नॉटी नही रखना चाहिए था। सारा दिन स्कूल में डांट खानी पड़ती है।
... Read more
ये रंग बिरंगें रंग सलौने
बहुत से पाठ पढ़ा जाते।
जीवन की कठिनाइयों से
लड़ना कैसे सिखला जाते।
जीवन सतरंगी बहु-मनरंगी
ये मधुर ... Read more
रक्तदान
******
बात बहुत सरल सी जानो।
रक्त बिना ना जीवन मानो।
रग-रग बहे जब रक्त धारा
जीवन तब ही चले हमारा।
यूं ... Read more
प्रतीक्षा
*******
दीर्घ अतिदीर्घ हो चला वक्त
तेरी राह तकते -तकते।
उम्मीद थी लौटेगा का तू
मेरे बाल पकते -पकते।
ये उदित किरण।
... Read more
उलझन
उलझनों के झुर्मुटो का शहर सी यें जिन्दगी।
जुग्नुओ से क्षण खुशी के दर्शाती सी यें जिन्दगी।
सुखद क्षणो मे गाती गुनगुनाती स... Read more
इन्द्रधनुष
सप्त-रंगो के ओज ने
प्रभावित तो किया।
जीत नही पाये उसका
नन्हा सा जिया।
चाह थी मन को जिस रंग की
ज्यो की त्यो... Read more
हादसा
******
एक खबर से जिन्दगी पलटवार खाती है।
जो हादसा बन दिल के टुकड़े कर ही जाती है।
सीधी सी जीवन धारा को
पलटा के जाती है... Read more
परछाईं
*******
परछाई बन मेरे हमसफर संग साथ ही में रहा करो।
कभी जो भटकूँ राह कही मुझे राह पे तुम किया करो।
परछाई बन मेरे....
क... Read more
मुझे बचाओं
***********
क्यों भूल गया तू हें मानव ?
मैं प्रिय धरती माता हूँ तेरी।
आज है मेंरी कोख उजडती।
कहाँ सो गयी वो प्रीत ... Read more
ग़ज़ल
लगता है सब ग़मो कि यूंही शाम हो गईं।
हमें सता उम्र इनकी यूंही तमाम हो गईं।
जिन सुनहरे पलो का इन्तज़ार था हमें।
अपनी वो... Read more
मुक्तक
आज एक बार फिर से हुई ऑखें नम है।
हम कैसे कहे क्या बताएँ हमे क्या ग़म है।
यूँ देख देश के शेरो को होते न्यौछावर।
करें हम ... Read more
ग़ज़ल
चलो आज चाल तुम्हारी ही चल के देखते है।
तुम्हारी तरह तुम्हे तुमसे यूंही छल के देखते है।
बहुत भरोसा किया तुम पर जान -ए-जा... Read more
फिलबदीह से हासिल ग़ज़ल
पुराने शहरो के मंजर निकलने लगते है।
फूल भी ज़मीन-ए-बंजर निकलने लगते है।
हवा से सीखा है इक नया हुनर हमन... Read more
दिनांक-१६/४/२०१७
दोहा छन्द
सूरज से जिवन खिलै-मिलै असिम प्रकाश।
बिन प्रकाश नित बढ़ै कीट-करै वस्तु का नाश।
बिन तुम भगवन है व... Read more
रदीफ-आते
काफिया-रहो
ग़ज़ल
होगी रहमत कभी तो अर्जियां लगातें रहो।
रात-दिन में खुशी-ग़म में तवज्ज़ो पाते रहो।
बग़ैर उसकी रज़... Read more
रदीफ़-आरो
काफिया-की तरह
जिन्दग़ी भी खूब है खिलें ग़ुलजारो की तरह।
छूट रहे हाथ सें पल टूटे से तारों की तरह।
खामोशी साधे था जो... Read more
महारथी धनुर्धरा
*************
नन्ही कली जब-जब चली।
रख पॉव हस्त कर तर्जनी।
तेरा हर इशारा पढ़ सकूं।
पग-पग सहारा बन सकूं।
न आने... Read more
हमराही
मैं तेरी तू मेरा
जीवन भर का संग है।
तू मेरी मैं तेरी पत राखूं
ली सौं हमने संग है।
दुर्लभ -कठिन बहुत जीवन पथ
पर तुम ... Read more
आत्मा
अपनी आत्मा या रूह को हम उस वक्त अपने पास महसूस कर सकते है। जब हम कोई...... अनचाहा कर्म करने को लालायित रहते है।
हम उ... Read more
होली
रास रंग का पर्व है आया।
आओ मिल-जुल खेले होली।
स्वागत करती आप सभी का।
अपनी रंग-बिरंगी टोली।
छोड़ेंगे हम एक दूजे पर।
हास ... Read more
सबला
कौन कहता है नारी अबला।
पल-भर में टाले यें हर बला।
कैसी भी हो पथ में बाधा।
त्यागे न यें अपनी मर्यादा।
नारी स... Read more
विषय-फागुन
तिथि-९-३-२०१७
सखी ! फागुन मास है आयो री।
संग मधुर सरस बरसायो री।
समा भयो बड़ा मनभावन री।
चहु ओर है सरसों छाय रही।
... Read more
ग़ज़ल
लाइफ से क्वीट भी
किया जा सकता है।
पर अब यह मेरे लिए
आसान है न सस्ता है।
दर्द होकर शुरु टॉप से
... Read more
ग़ज़ल
चल रही फिर से सुरभित।
वही चंचल पवन सुहानी है
जिसकी तारीफो को रहती।
हर कवि की कलम दिवानी है।
मधुमास हर फूल हर कोंपल ... Read more
ग़ज़ल
सिंधड़ी सी यादें धुँधला सा आइना।
लौं अब भी दरमियां अपने मगर है।
श़िकन नही ज़रा है ज़ख्म़ी जिगर में।
छिड़कता नमक हर बश़... Read more
मुक्तक
जिएं साथ जीवन एक सादा
करते है हम आज यें वादा।
एक हो हम दोनो का सपना।
प्रभु ! पूरा करे यें नेक इरादा।
सुधा भारद्वाज
... Read more
यह उस बेटी की अभिलाषा है
जो अभी अजन्मा है माँ की कोख़ मे ही है परन्तु उसे भय है कि कही माँ उसे जन्म ही न दें।वह अपनी माँ को मनाने क... Read more
जय भोलेनाथ
---------------------
निशदिन मन लागे तुझ शरणम्।
तुझ दर्शन बिन रहे व्याकुल मेरा मन।
मै भटक ना जाऊं कही किसी कदम।
बन... Read more
पथ/राह
पवन बुहारे पथ तेरा तू
चल चला चल।
मान ले सुरभित बगिया जीवन
तू चल चला चल।
वृक्ष घनेरे बांह पसारे
है त... Read more
ग़ज़ल
गुजर गया वक्त यूंही याद में रोते रोते।
थी आरज़ू खुशी की ग़म में खोते-खोते।
बेश़क ! मुहब्बत है इम्तिहान लेती।
बहुत कम ब... Read more
ग़ज़ल
हम फ़ना हो गयें देखते देखते।
कट गई उम्र यूंही देखते देखते।
हसरत तो थी सुधरे हालात।
बद से बदतर हुए देखते देखते।
दिल ... Read more
सरिता
हिम शिखर से निकल
राह मेरी बड़ी कठिन विकल
चलूं मै इठलाती
इतराती सी
परवाह नही मुझे कभी
राह की
हो मैंदान या गहरी खाई
चलूं... Read more
तर्जनी
मेरी तर्जनी ने जिन्दगी की तर्ज़ सी बिगाड़ दी।
हर कार्य में वो साथ थी मेरे तंग समय की आड़ थी।
करने को मैं जो कुछ भी चलूं ... Read more
ग़ज़ल
----------
ज़िन्दगी दर्द की कहानी है।
यें दुनिया यही रह जानी है।
देके हमे कर्ज़ अपने यहाँ।
करनी उस और ही रव़ानी है।
... Read more
ग़ज़ल
----------
ज़िन्दगी दर्द की कहानी है।
यें दुनिया यही रह जानी है।
देके हमे कर्ज़ अपने यहाँ।
करनी उस और ही रव़ानी है।
... Read more
सीख:
झुकी फलो की डाली ने सिखाया।
तुझमे इतना गुरूर कहाँ से आया।
बना खुद को शालीन- प्रवीण।।
जिससे होगा तू विकसित सर्वांगीण।
गुणों... Read more
अहंकार
-------------
अहम का विकार जब जब किसी में आ गया।
न चाहते हुए भी उसको अहंकारी कहा गया।
अहम के सीमित मात्र को
स्वाभिमानी... Read more
अहंकार
-------------
अहम का विकार जब जब किसी में आ गया।
न चाहते हुए भी उसको अहंकारी कहा गया।
अहम के सीमित मात्र को
स्वाभिमानी... Read more
मुक्तक
तुमसे मिले बिना यें मेरी जिन्दगी
अधूरी है।
मिल नही सकते हम-तुम यें कैसी मजबूरी है।
सिन्दूरी यें सांझ पिया आ देखो!
दि... Read more
ग़ज़ल
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए।
जिसको हर इंसान द्वारा मन से फैलाया जाए।
होंगी फिर इस मुल्क़ में भी कुछ नयीं तारीखें।
... Read more
प्यारी बहना(लघुकथा)
क्या हुआ बाबू रो क्यो रही है ? अब तेरी माँ-बाबा मैं ही हूँ। कोई नही आयेगा तेरे रोने से पगली ! भूख लगी थी तो ब... Read more