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तू बना रह निडर, सत्य हो जिधर जिधर
कंप-कँपाते पैर से, डगमगाती बेंत से
इस अंधेरी रात में, सूर्योन्मुखी हो नजर
उठ खड़ा हो चल उधर, ... Read more
मैं था घट-घट पर पड़ा हुआ, भोजन मिलता था सडा हुआ
नित कटु वचन मैं सुनता था, चरणों की धूल मैं बनता था
विद्या की ललक लिए मन में, मैं ... Read more
आशा सारी झूठ हुई अब, चारो और हताशा है
सपने सारे टूट गए अब, चारों और निराशा है
राह में राही रूठ गए अब, अपना नहीं सुहाता है
तम... Read more