Copy link to share
दिनांक 16/2/19
मानवता के हत्यारे
मानवता तब
चूर चूर हो गयी
जब लिपटे
वीर जवान
तिरंगे में
दहशतगर्दों का
क्या है काम
... Read more
लघुकथा
" रेल अबाध गति से जा रही थी । मै दोस्त की बारात में भोपाल से पुणे जा रहा था। अहमदनगर से कुछ सेना के जवान सवार हुए ... Read more
वीर जवानों
तुमको है कोटी कोटी नमन
देश की सीमाओ पर
डटे रहते मुस्तैदी से
न ठंड की चिंता
न गर्मी का खौफ
दुश्मन पर करते वज्रपात... Read more
वतन की खुशबू
मिट्टी में समाई
माथे लगा लूँ
सारी जिन्दगी की
ये है कमाई
मिट्टी के खिलोने
खेलते बीता बचपन
मिट्टी के घड़े... Read more
चेहरे पर झुरिया है सिर सपाट है
आदत से मजबूर है ये दिल
हर वैलेन्टाइन डे पर बिखर जाता है ये दिल
बीवी का पेहरा है दरवाजे पर... Read more
पत्नी ने कहा :
आओ जी मै आपके दाग धो दू
मैने कहा :
मै तो दूध का धुला हूँ
तुम क्या धोओगी ?
वह बोली :
मुँह मेरा मत खुलवाओ
शादी... Read more
भावों के मोती है
रूप सलोना है
सुन्दर है चित्र
राधा सी है मित्र
हे कान्हा तू तो
बड़ा सलोना है
कान्हा !
छेड़ता जब धुन ... Read more
इन्सान की जिंदगी
भरी दाग से
निकला जो बच कर
वह बेदाग हो गया
वरना दाग से तो
देवता भी बच नही पाए
दाग चुनरी पर
बैचैन सुन्... Read more
कांटो पर चलने वाले
मुकाम पा जाते हैं
मखमल पर चलने वाले
अक्सर भटक जाते है
महलों की चमक
इरादों से भटका देती है
झोपड़ी वाले
... Read more
मुकाम है अंजाम
किसी मंजिल का
अच्छे काम का
अंजाम भी होता
है शुभ
कह गये है
साधु संत
सकारात्मक सोच
तथ्यपरक शौध
ऊँच... Read more
जहर भरा है सर्प से
भी ज्यादा
इन्सान में
अपना बन कर काटता है
आस्तीन में ही छिपा रहता है
इन्सान की
भाई, भाई के लिए
उगल... Read more
वेलेंटाइन डे से एक महिने पहले से
एक सुंदर लड़की मोना को एक लड़का
सुदीप रोज़ एक गुलाब का फूल दिया करता था🌹
मोना लाल गुलाब... Read more
बेटा कब से आवाज दे रही हूँ कहाँ है ।"
कहते हुए रमादेवी , सुरेश के कमरे की तरफ गयी । वहाँ सुरेश गुमसुम सा बैठा था । रमादेवी को चिंत... Read more
"पिताजी जैसे ही मुझे मालूम हुआ आपने अपना छोड़ कर अलग किराये का कमरा लिया है तो मैं अपनेआप को रोक नहीं सकी और फौरन चली आई ।"
संगीता... Read more
मर्यादा में बंधी रहती है
दहलीज
एक चौखट में बंधी है
दहलीज
दहलीज के अंदर है
घर की इज्जत
बाहर गयी तो
सरे आम बदनाम है
आबरू
... Read more
पागल औरत
चौराहे पर हंगामा हो रहा था लोग तरह तरह की बातें कर रहे थे :
" न जाने किसका पाप पेट में पाले घुम रही थी यह पागल आज वह स... Read more
हरीभरी धरा
लगती है
सब को अच्छी
कहती है ये
जंगलों की
कहानी सच्ची
वन्यजीवों के हैं
यहाँ के रहवासी
पंछियों के
उड़ते समू... Read more
जिन्दगी गुजर
जाती है
सवालों के
जंजाल में !
बड़ी बेदर्द से
जबाव मांगती है
जिन्दगी
हर सवाल का
सवाल कभी यक्ष प्रश्न
... Read more
दुश्मन होती है साजिशे
दुनियां में
भाई भाई को बांट देती है
ये साजिशे
शकुनि की
साज़िशो के चलते
करा डाला था
उसने महाभारत ... Read more
जब तलक
जुड़ी हैं
जिन्दगी , सांस से
उड़ती है पतंग
आसमां में
अनजान जगह
अनजानों के बीच
उड़ती है पतंग
बैरानी सी आसमां... Read more
रात के अंधेरे में
मैंने पूछा चाँद से
कहाँ भटक रहे हो
चाँद कहा प्यार से
भटको को दिखाता
रहा हूँ राह
दिनभर की तपन से
दिला... Read more
जय जवान
जय किसान के बाद
अब हुआ है
जय विज्ञान का
उद्घोष
जब हुआ तीनों का
साथ
देश का हुआ
चहुंओर विकास
और हुऐ
मजबूत हाथ
... Read more
वो मासूम थी
सामने दरिन्दा था
किया उसने
कराटे का वार
वो हुआ धराशायी
चीख कर
भागी मासूम
सीखे सब
बेटियाँ
इसी तरह के वार... Read more
1
बंद कमरा
मारपीट
की आवाजे
औरत की चीख
सब कुछ खत्म
2
मस्ती में युगल
तेज रफ्तार
एक चीख
और
सब कुछ खत्म
स्वलिखित लेखक... Read more
मासूम चेहरे पर हो
जब मुस्कान
खिलने गले फूल
महके क्यारियाँ
मिले जब हक
बराबरी का
आसमां छूए
ये नारियाँ
अब गिला शिकवा
का... Read more
क्या लिखूं
तेरे बारे में कागज
जितना लिखूं
उतना है कम कागज
बचपन बीता
नाव बना पानी में
बहाते तुझे कागज
तो कभी हवाई जहाज ब... Read more
"संध्या ने अपनी पूरी जिन्दगी घर के देखभाल और घर को बनाने में गुजार दी । मैं तो बस आफिस में चपरासी था । इस तनख़्वाह में दो बच्चों... Read more
बचपन के वो खिलोने
कन्चे , गिल्ली डंडे,
चपेटे, चक्की और चूल्हा
शादी गुड्डे-गुड़िया की
राधा बनी दुल्हन और
किसन बने है दूल्हा
... Read more
" बाबू जी मुझे रिटायर हुए तीन साल हो गये मेरी पेंशन अभी तक नही बनी बाबू जी बडी परेशानी में हूँ।"
रामलाल हाथ जोड़ कर पेन्शन प्रकर... Read more
हे इन्सान
तू इन्सान बन कर
रहना सीख
फरेब , चापलूसी जो
कूट कूट कर भरी है तुझ में
उससे निकल और
इन्सानियत से जीना सीख
ईश्व... Read more
गगन में उड़ने की
चाह थी उसकी
बैठा खिडकी के पास
देखता गगन में
उडते पंछी
पर वह लाचार था
पैरों से था असहाय
मन का था पक्का... Read more
मन देखे आसमां में
दिल रंगीन हो जाए
उड़े सतरंगी चुनरिया
जब ऊंची बदरिया
पिया संग तब
ठुमके दुल्हनिया
रंगों की निराली दुनि... Read more
लम्बा सफर तय किया है
घूंघट तूने
चेहरा न दिखे बस
सबब था तेरा
हर किसी ने बस
चेहरा ढका दिया तेरा
प्रश्न यह है
चेहरा क्यो ढका ... Read more
पंछियों के बच्चे
आत्मनिर्भर हो
उड जाते हैं
इन्सान के बच्चे
जिन्दगीभर माँ बाप से पूछते है
"तुमने किया ही क्या है
हमार... Read more
मैं तो खुद पर हुकुमत करता हूँ
इसलिए महफ़ूज रहता हूँ
दूसरों पर हुकुमत करने वाले तो
डरे से रहते है
मेरा मौला मेरा सिपहसलार
... Read more
समझौता वार्ता है
हर समस्या का
समाधान
सकारात्मक दृष्टिकोण
से करो वार्ता
चाहे बात देश की हो
या परिवार की
जब टूटता है
... Read more
आखें हँसती रहती हैं
दिल उदास रहता है
इस तरह मैं
उसके करीब रहता हूँ
किसी से कुछ कहता नही हूँ
वह मुझसे दूर रहता है
बहाना कु... Read more
ख्बाईशे बहुत ज्यादा पाल रखी है मैने
जानता हूँ जिन्दगी छोटी है और ख्बाईशे लम्बी हैं
ख्वाइशों के लिए दिन रात भागता भटकता हूँ
... Read more
आज भी भाती है
वह पूजा दादी की
पहले लड्डू गोपाल को
नहलाना
श्रृंगार करना
टिका लगाना और
आसन पर बैठाने
फिर दादी के सामने
लड्ड... Read more
मेरी जिन्दगी की किताब को गौर से पढ़िए
करीबी सा लगूं मुझे दिल खोल के पढ़िए।
अरसे से पड़ी बन्द किताब के पीले पन्नों में
सूखे हु... Read more
कम न हो देशप्रेम का जज़्बा
यह दिलों में बना रहे
शत्रु के षड्यंत्र न हो कामयाब
सतर्क हर एक हो रहना है
इरादे हो हर भारतीय के ... Read more
हर भारतवासी का
देश है ये
तो यक्ष प्रश्न है ये
अनेकता में भी एकता है तो
धर्म का बंटवारा क्यो ?
जाति का बंटवारा क्यो ?
सम्प... Read more
(देशभक्ति कविता)
जवान ने कभी
हार न मानी
देशभक्ति से
सदा रहा सराबोर
एक अकेला
रह गया था
एक चौकी पर
वह शत्रुओ के बीच
... Read more
हरी भरी धरा हमारी
रूप अनेक लिए हुए
कभी जल से भरी भरी
कभी पतझड़ से उड़ी उड़ी
आया बसंत जो झूम के
फुलवारी सी बनी धरा
मनमोहक र... Read more
जन्म लिया है
भारत भू पर हमने
कण कण में
बसी है सोन्धी सुगंध
हे भारत मा तूझे
कोटी कोटी है नमन
जन्म दिया है
माँ तूने
... Read more
जब हो काम के प्रति
उत्साह , लगन
तो
नहीं लगता
बोझ वह
माता पिता को
नहीं लगते बोझ बच्चे
वह रूखा सूखा
खाते है
पैदल चल... Read more
माँ सरस्वती की कर
वंदना
नमन करूँ शीश नाए
फिर ले कलम हाथ में
लेखन करूँ शुरूआए
विचारों पर
सीधा प्रहार करें
कलम ऐसा हथियार
... Read more
आया चुनाव का
मौसम
हर तरफ
सदा बहार
जाल बिछाऐ
बैठे नेता
फंसती जनता
बेहाल
जनता चुनाव में
रानी है
आश्वासन देख
जाल में... Read more
सफर जिन्दगी का
बहुत मिलते है
मुसाफिर जिन्दगी में
कुछ चलते है साथ
कुछ बिछड़ जाते है
हमसफर के बिना
अधूरी है जिन्दगी
बहु... Read more
पैंसठ साल के रामलाल दादा ने घर से बाहर निकलते हुए अपने पड़ोसी दोस्त दयाशंकर को आवाज दी :
" चलो आज कन्चे खेलते है इसके बाद गिल्ली डं... Read more