Ritesh Singh Rahi Ballia Joined November 2018 1 Post · 65 View मंजिल की तलब नही मुझे, अपनी धुन का राही हूँ। अश्रु की स्याही,दर्द की गवाही,कलम… Read more मंजिल की तलब नही मुझे, अपनी धुन का राही हूँ। अश्रु की स्याही,दर्द की गवाही,कलम का सिपाही हूं।। Share Share Facebook Twitter WhatsApp Copy link to share Posts All कविता (1) Sort by: Date Views माँ माँ जपते जा "राही" जब तक चलता श्वास Ritesh Singh Rahi Nov 17, 2018 · कविता 3 · 4 · 65