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गिरफ़्त से ज़िन्दगी की किधर जाएगा
ले कर सफ़ीना भवँर में उतर जाएगा
क़ैद में जिनकी सूरज, हो उनको ख़बर
चराग़ है तो कु... Read more
हमने
पत्थरों में
बो दिए
हरियाली के बीज
सींचे नमक के पानी से
तैयार किये
बादलों के जंगल
ताकि बुझाई जा सके
धरती की प्यास
त... Read more
कुछ ख़ास फ़र्क
नही पड़ा
तुम्हारे चले जाने से
पेड़ों पर लगे छोटे आम
अब थोड़े बड़े होकर
पीले होने की
तैयारी में हैं
नन्ही चिड़िया आक... Read more
बुनती ही रहती हैं
जगत की माएँ
दुआएँ
अपने बच्चों के लिए
दिन रात
युगों युगों से
उसी गति से
बुनती आ रही हैं
तोड़ कर
फेंक ... Read more
बड़ी लंबी जुबान की
होती है
ये ख़ामोशियाँ
शब्दों की
बैसाखियों के बिना ही
बहुत दूर तक
चली जाती हैं
कच्ची पक्की
अंजान पगडंड... Read more
बहुत कुछ
पार कर
जाते हैं हम
उम्र के लंबे
पड़ाव
वक़्त की पिघलती
कतारें
ईर्ष्या, क्रोध,द्वेष
के घने, स्याह
जंगल
संवेदनाओ... Read more
उभरती है
मानस पटल पर
जब भी कोई कविता
मानों अभी अभी पी ली हो
कोई सरिता
बहा कर ले जाती है
ख़्यालों को
अपनी चंचल तरंगों के साथ... Read more
कुछ ख़ामोश सी
रहने लगी है
आजकल मेरी कविता
चाहती तो है
बात करना
जाकर बगीचे में
लदे गुंचों की डालियों से,
पर सुन लेती है
जब ... Read more
नाम व व्यवसाय के साथ
"समाज सेवक" की
नेमप्लेट से सुशोभित
घर के बाहर की दीवार
कागज़ के फूलों से सजा
फूलदान,
अभिमान से
सिर ऊ... Read more
मुठ्ठी भर ठंडी हवा का झोंका
भर दी थी जिसने
मेरे तन मन में असीम शीतलता
और जीने की नई उमंग
अपार ऊर्जा से भरी
भोर की पहली सुर्ख ... Read more
कालखंड के संविधान
से मुक्त
नियति की
परिधि से घिरे
देश,धर्म,जाति
राजा रंक की सीमा
से परे
लौकिक,अलौकिक
कानूनों से मुक्त... Read more
विधवा हुई है तू
तोड़ दे सब सब
चूड़ियाँ
दादी ने साफ़ कह दिया था
पोंछ दे सिंदूर,माथे की बिंदिया
बता रहीं थीं
माँ, बुआ और
पड़ोस की... Read more
इश्क़ तुझे भी है कोई अहसास तो जताया होता
तू न आता न सही कोई ख़त तो आया होता
ख़्वाहिशें चाँद सूरज की दिल ने की ही न थी
टूटा ही सिता... Read more
रिश्तों के तानेबाने में,
जीवन का है हर तार बुना
कुछ रिश्तों में हम जीते हैं,
कुछ रिश्ते हममें जी जाते हैं।
कहीं ममता का स्पर्... Read more
नारी हूँ तो नारी की पहचान चाहिए
उड़ सकूँ बेफिक्र वो आसमान चाहिए
बेटी बेटों में फर्क नहीं फिर
जन्म पे उनके क्यों शर्माते हो
बेटो... Read more
अप्सरा,गणिकाएँ, गायिकाएँ, नर्तकी,
रहीं देह का बस अवदान,
गजगामिनी,हिरनी,सुकुमारी,चंद्रमुखी,
गढ़ लिए सौंदर्य प्रतिमान,
मातृ, ,प... Read more
वो मेरे अंदर पड़ा पड़ा
कहीं कुलबुला रहा है
बाहर आने की कशमकश में
पूरा दम लगा रहा है
थोड़ा सा भी
सुराख़ न मिलने पर
पड़ा पड़ा
अंद... Read more
अपने अश्क़ों को,लबों पर सजाने लगे हैं हम,
दाग़ उन पर न लगे कोई,मुस्कराने लगे हैं हम,
वो रुसवा न हो जाये, मेरे नाम से जमाने में
ख़त... Read more
मैं तुम और
हमारे बीच फैला
ये अनन्त व्योम
मैं जानती हूँ
पसंद है तुम्हें
ये हल्का नीला सा
आसमान
जिसमें बीच बीच
सफेद बादलों... Read more
नहीं
ये डर नहीं है मुझे
कि तुम परास्त कर दोगे
मुझे मेरी सारी शक्तियों के साथ,
मेरी अस्मिता के
तार तार करके
जमा लोगे मुझ पर
... Read more