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*एक बार फिर*
मौसम की ठंडी फुहार और क्यारी में खिले पीले फूल आज फिर मन के दरीचों से अतीत की स्मृति ताज़ा करने पर आमादा हो गए हैं। ... Read more
*एक बार फिर*
मौसम की ठंडी फुहार और क्यारी में खिले पीले फूल आज फिर मन के दरीचों से अतीत की स्मृति ताज़ा करने पर आमादा हो गए हैं। ... Read more
[2/7, 12:14] rajniagrawal60: हवा ने जिस्म की खुशबू भरा संदेश पहुँचाया।
अधर पर इश्क का चुंबन लिए पैगाम जब आया।
शबनमी प्रीत की सौगात... Read more
'चित चोर' (मत्तगयंद सवैया छंद)
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*एक बार फिर*
मौसम की ठंडी फुहार और क्यारी में खिले पीले फूल आज फिर मन के दरीचों से अतीत की स्मृति ताज़ा करने पर आमादा हो गए हैं। ... Read more
"रस्म-उल्फ़त"
रूँठना भी है अदा उनको मनाना चाहिए।
फ़ासलों को दूर कर नज़दीक आना चाहिए।
मानकर अधिकार अपना की शिकायत आपसे
माफ़ क... Read more
"लाज़मी है"
ज़िंदगी बोझिल हुई है गुनगुनाना लाज़मी है।
रिस रहे रिश्ते यहाँ मरहम बनाना लाज़मी है।
गेसुओं से अब झरे शबनम नहीं रु... Read more
'शायरी अपनी जगह'
आशिकी अपनी जगह है बेकशी अपनी जगह।
मुफ़लिसी अपनी जगह है बेबसी अपनी जगह।
था मुकम्मल प्यार उनका बेवफ़ाई कर गए
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"सुनाता हाले दिल अपना"
सुनाता हाले दिल अपना मगर सबसे छुपाना था।
तुझे मालूम है ए दिल बड़ा दिलकश फ़साना था।
छिड़ी है बात उल्फ़... Read more
"लिखूँ ए दिल बता क्या मैं"
लिखूँ ए दिल बता क्या मैं बड़ा दिलकश फ़साना था।
नहीं मैं भूलता उसको वही मेरा खज़ाना था।
बहुत खुशिया... Read more
मुक्तक त्रय
"जश्न-ए-आज़ादी"
(1)
जश्न आज़ादी मनाएँ नेह वंदन भारती!
देश के प्रहरी सजाएँ भाल चंदन भारती!
गूँज शहनाई भरें उन्मा... Read more
नाम-डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
पता-डी. 63/12 बी क.,पंचशील कॉलोनी,
निअर विराट विला अपार्टमेंट,
हरि सरदार की गली,
महमूरगं... Read more
'नसीहत'
अजब नादान उल्फ़त ने गढ़ी अपनी कहानी है।
लिखा हर हर्फ़ आँसू से ग़ज़ल ही तरजुमानी है।
अभी हर ज़ख्म गहरा है यहाँ ख़ूने त... Read more
*आप हमें भूल गए*
गैर के साथ गए मेरी कमी भूल गए।
जो हमें याद रहे आज वही भूल गए।
घूमते आप फिरे रोज़ नई महफ़िल में
दी सज़ा आपन... Read more
212 212 212 212
"देखते-देखते
जल रहा है मकाँ देखते-देखते।
मिट गया आशियाँ देखते-देखते।
फ़ासले हो गए दूर हम से गए
हो गया ... Read more
"दिलकश यौवन"
1222 1222 1222 1222
नज़ाकत शोखियों ने रूप यौवन का सँवारा है।
तुम्हारी सादगी के हुस्न ने चंदा नकारा है।
खिली मुस... Read more
212 1222 212 1222
"भूल नहीं पाते हैं"
दर्द को छुपा जग से होंठ मुस्कुराते हैं।
बेवफ़ा सनम हमको नींद में सताते हैं।
याद जब क... Read more
आशिकों का क्या ज़माना आ गया।
दर्द सहकर मुस्कुराना आ गया।
दे भरोसा प्यार में सौदा किया-
प्यार किश्तों में चुकाना आ गया।
डॉ. रजन... Read more
*कलुषित स्पर्श*
रो रही कुदरत ज़मीं पर मृत अधर भी काँपते हैं,
देश की बेटी लुटी है लोग चोटें नापते हैं।
लूट तन बाहें घसीटीं चीं... Read more
*कलुषित स्पर्श*
रो रही कुदरत ज़मीं पर मृत अधर भी काँपते हैं,
देश की बेटी लुटी है लोग चोटें नापते हैं।
लूट तन बाँहें घसीटीं ची... Read more
प्रीत अधरों पर सजा मुस्कान बनना चाहिए।
हसरतों के ख्वाब सा मेहमान बनना चाहिए।
भूल कर मतभेद मजहब के जियो सब प्यार से-
नेक कर्मों की... Read more
मुक्तक
(1)
मिला पतझड़ विरासत में हमें क्यों यार से ए दिल?
मिलीं बेड़ी हिफ़ाज़त में हमें क्यों यार से ए दिल?
गँवाकर दीप नैनों क... Read more
मुक्तक
(1)
आशिकों का क्या ज़माना आ गया।
दर्द सहकर मुस्कुराना आ गया।
दे भरोसा प्यार में सौदा किया-
प्यार किश्तों में चुकाना आ ... Read more
"नूतन वर्ष"
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सभी ये साल नूतन हैं सभी यादें पुरानी हैं,
गुज़र जाएँ यहाँ जो पल कहें अपनी कहानी हैं।
सितम हर रोज़ झेले ह... Read more
"सलामे इश्क अठरा साल"
सभी ये साल सोलह हैं,सभी यादें पुरानी हैं।
गुज़र जाएँ यहाँ जो पल,कहें अपनी कहानी हैं।
सितम हर रोज़ झेले है... Read more
"बेवफ़ा सनम"
दिल में बसाके मुझे,हुई तू पराई रे
बेवफ़ा सनम तुझसे मिली क्यों जुदाई रे?
(1)
वादा किया था तुमने,साथ तुम निभाओगी
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मुखड़ा-
घटा घिरी घनघोर गगन में, गीत प्रेम के गाती है।
चंचल काया नर्तन करती, राग-रंग बरसाती है।
अंतरा-(1)
लौट शहर से जब घर आता ... Read more
मुखड़ा-
ढोल-नगाड़े बाज रहे हैं,शाम सुहानी आई है।
'विश्व-भवन' में धूम मची है,द्वार बजी शहनाई है।
अंतरा
(1)
पीत रंग के लहँगा-चो... Read more
1222 1222 1222 1222
काफ़िया- आर
रदीफ़- हो जाना
बहुत महँगा पड़ा मुुझको सनम से प्यार हो जाना।
मुहब्बत में खुला व्यापार -औ-अख़बार... Read more
"दास्ताने इश्क"
इश्क नासूर बन कर उभर जायेगा।
दर्दे-ग़म आँसुओं में उतर जायेगा।
दास्ताँ हाले दिल की कभी तो सुनो
दर्द उठ-उठ के ... Read more
1222 1222 1222 1222
काफ़िया- आर
रदीफ़- हो जाना
बहुत महँगा पड़ा मुुझको सनम से प्यार हो जाना।
मुहब्बत में खुला व्यापार -औ-अख़बार... Read more
"माँ"
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बारिश की बूदों में माँ तू, प्रेम सरस बरसाती है।
तेज धूप के आतप में तू ,छाँव बनी दुलराती है।
तुझसे मेरा जीवन है... Read more
"माँ"
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बारिश की बूदों में माँ तू, प्रेम सरस बरसाती है।
तेज धूप के आतप में तू ,छाँव बनी दुलराती है।
तुझसे मेरा जीवन है ... Read more
"दास्ताने इश्क"
वक्त नासूर बन कर ठहर जायेगा।
दर्दे-ग़म आँसुओं में उतर जायेगा।
दास्ताँ हाले दिल की कभी तो सुनो
दर्द उठ-उठ क... Read more
ग़ज़ल
काफ़िया-आर
रदीफ़-बिकते हैं
अजब मालिक की दुनिया है यहाँ किरदार बिकते हैं।
कहीं सत्ता कहीं ईमान औ व्यापार बिकते हैं।
... Read more
"तिरंगे की कसम"
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#तिरंगे की कसम खाकर महकती छोड़ आया मैं।
पहन #राखी हथेली में चहकती छोड़ आया मैं।
लगा #सिंदूर माथे ... Read more
मुक्तक
इश्क में इश्क ने हम पर रुआब रक्खा है।
हरेक सवाल का हमने जवाब रक्खा है।
जुबाँ ख़ामोश है लब मुस्कुरा रहे अपने-
ढहाए जुल्म... Read more
'बेवफाई'
गैर के साथ चले राह कई भूल गए।
आशिकी को न समझ पाए कभी भूल गए।
है अजब इश्क जुदाई न सही जाए सनम-
जो हमें याद रहे आज वही ... Read more
"आप गली भूल गए"
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गैर के साथ चले राह कई भूल गए।
जो हमें याद रहे आज वही भूल गए।
आपकी याद उदासी बनी ... Read more
मुक्तक
इश्क में इश्क ने हम पर रुआब रक्खा है।
हरेक सवाल का हमने जवाब रक्खा है।
जुबाँ ख़ामोश है लब मुस्कुरा रहे अपने-
ढहाए जुल्म... Read more
"आज़मा कर देखना"
याद में मेरी कभी ख़ुद को भुलाकर देखना।
ख़्वाब आँखों ने बुने उनको चुराकर देखना।
गीत होठों के सभी क्यों आज बेग... Read more
दीपावली मुक्तक
नेह की बाती जले सद्भभाव की हो धारणा।
जगमगाते दीप में उत्सर्ग की हो भावना।
दीप माटी के जला रौशन करें हर द्वार को-... Read more
चला जाऊँ अगर तन्हा नहीं कोई गिला होगा।
तुम्हारे रूँठ जाने का नहीं फिर सिलसिला होगा।
हज़ारों महफ़िलें होंगी मगर मुझसा नहीं होगा-
व... Read more
*बूढ़ा बरगद*
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बूढ़ा बरगद ठूँठ बना अब
याद करे बीता कल अपना,
कहाँ खो गई भोर सुहानी
बेबस मन अब देखे सपना।
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*ज़माने बीत जाते हैं*
कभी उल्फ़त निभाने में ज़माने बीत जाते हैं।
कभी मिलने मिलाने में ज़माने बीत जाते हैं।
कभी वो दर्द देते ह... Read more
मुक्तक
जूझके हालात से कर हादसों का सामना।
वज्र सा पाषाण बन कर बादलों का सामना।
बुझदिलों की जीत होती है नहीं संसार में-
तू बढ़... Read more
"अनुभव बोलता है"
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नौकरी के लिए विदेश जा रहे रौनक की तैयारी में सारा घर लगा हुआ है। माँ का वश चले तो पूरा... Read more
"नया सवेरा"
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उन्मादित भोर की ढ़़लती शाम सी निढ़ाल स्वरा को बिस्तर पर पड़े देखकर गर्व ने उसके सिर को सहलाते हुए कह... Read more
"सरप्राइज़्ड गिफ़्ट"
मि. मेहरा के लिए पदोन्नति होना आसमान को छूने जैसा था। पिता की पदोन्नति की ख़बर सुनकर रूपल के पैर ज़मीन पर नह... Read more
भरी गागर बुराई की छलकना भी ज़रूरी है।
नज़र से दूर होने पर तड़पना भी ज़रूरी है।
गरजते जो ज़माने में बरसते वो नहीं भू पर-
खरी-खोटी ... Read more