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मैं जब 10 वीं कक्षा में था तो कुछ पंक्तियां लिखी और स्कूल में सुनाई सब को अच्छी लगी और तब से ना जाने क्यों लिखने की लत लग गई।जब भी मन उलझता है,खुश होता है,दुःख हो,चाहे दिल की बात बस कलम के सहारे मन को हल्का कर लेता हूँ और दिल के अहसासों को शब्दों में फिरो देता हूँ और जो कह नही पाता लिख देता हूँ।मैं बस लिखता हूँ ये मेरा शौक है न की ख्वाहिश…..
– रघु जी एस जाटव