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आभासी दुनिया और युवा पीढ़ी
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भारत का असन्तुष्ट युवा
( आलेख )
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भारत विश्व का सबसे बड़ा युवा वर्ग रखने वाल... Read more
न तन तेरा न मन मेरा
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न तन तेरा ,न तन मेरा ,
न मन तेरा,न मन मेरा ।
न दिल तेरा ,न दिल मेरा ,
फिर होता क्यों ते... Read more
माँ
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सबसे प्यारा और अनोखा !
रिश्ता अपनी "माँ" का है |
तीनों लोक समा जाएेंगें.....
ऐसा आँचल " माँ " का है ||
जननी बन... Read more
आदमी का आदमी से ब्याह होगा
औरत का औरत से निकाह होगा
बहुत चिंता में रहता हूं आजकल मैं
न जाने; मेरे देश का क्या होगा!!!
चढ़ती... Read more
सूक्ष्म आलोचना
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सूक्ष्म-आलोचना अमृत के समान है जिसे सहर्ष स्वीकार करना अपने व्यक्तित्... Read more
इंसाफ कौन करेगा ?
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गिरे हुए इंसानों का एहसास कौन करेगा ?
गली-गली-चौराहों पर दृष्टिपात कौन करेगा ?
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कभी सोचा है ?
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कभी सोचा है ?
मानव की परिधि क्या है ?
कहाँ तक है ?
कितनी है ?
किस रूप में है ?
हाँ ! स... Read more
प्रधानमंत्री जी का परीक्षा पर चर्चा के बहाने संस्कारों का बीजारोपण
माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारत के भविष्य बच्चों... Read more
पवित्र साध्य है बेटी
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आन कहूँ या शान कहूँ ! मान कहूँ या मर्यादा ! खुशियों की चाबी कहूँ या हि... Read more
नारी हूँ मैं !
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नारी हूँ मैं !
कोई पत्थर नहीं !
मुझमें भी हैं......
एहसास
निर्मलता
और मानवता |
सदियों से ही... Read more
गुरू की गरिमा का अवसान !
गुरू का पद वैदिक काल से ही सतत् गरिमामय रहा है ,पर आज अक्सर देखने में आता है कि कुछेक असामाजिक तत्वों ने... Read more
माँ ! कब आएगी ?
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पतंग !!!!
नाम सुनते ही.....
उमंग और तरंग !
दोनों ही हिलौरे लेती हैं !!
उत्सुकता... Read more
राजस्थान के लब्धप्रतिष्ठित लेखक , समीक्षक , और सामाजिक कार्यकर्ता श्री मनोज अरोड़ा की पुस्तक " रामायण प्रसंग " स्वामी विवेकानन्द द... Read more
पुस्तक समीक्षा
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पुस्तक : बाल सुमन
लेखिका : सुश्री अनुभूति गुप्ता
संस्करण : प्र... Read more
भूमिका
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अपने जनक एवं जननी को श्रद्धापूर्वक समर्पित श्री नरेश कुमार चौहान का समकालीन हिन्दी कविताओं ... Read more
भूमिका
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भारतीय पुरातन सभ्यता , संस्कृति, संस्कार और सद्गुणों के आलोक में महान् विभूतियों के कर्... Read more
पुस्तक समीक्षा
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पुस्तक : कतरा भर धूप
लेखिका : सुश्री अनुभूति गुप्ता
संस्करण : प्रथम ... Read more
क्या वजह लिखूँ ?
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क्या वजह लिखूँ तेरे इश्क की ?
कोई वजह नहीं ,बेवजह हुआ !
ना कोई प्रतिस्पर्धा... Read more
जीवन का आधार
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जीवन का आधार प्रेम है ,
दिया गया आभार प्रेम है !
लैला की चलती हुई सांसें,
मजनूं ... Read more
सृजना की महत्ता
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क्यों हुआ है खून का पानी ?
करते रहते सब मनमानी....
जोशीले शब्दों के संग में
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" पवित्र साध्य- प्रेम "
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रहिमन धागा प्रेम का ,मत तोड़ो चटकाय |
टूटे से फिर ना जुड़े ,जु... Read more
नाज होता है अक्सर तेरे दिल पर मुझे
ऐसा दिल बहुत मुश्किल से मिलता है |
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दीप Read more
सहेज लेता हूँ !
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सहेज लेता हूँ !
इन वृक्षों को !!
अपने लिए...
अपनों के लिए !
जग के लिए...
सब के लिए !
क्यों कि... Read more
" पवित्र साध्य- प्रेम "
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रहिमन धागा प्रेम का ,मत तोड़ो चटकाय |
टूटे से फिर ना जुड़े ,जु... Read more
"मैं भारत माता हूँ !"
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पहचाना मुझे ?
नहीं ना !!
पहचानोगे भी कैसे ?
तिरंगा तो नहीं है हाथ में...
शेर पर भी सवार नह... Read more
तुम कौन हो ?
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कभी सोचा है ?
कि तुम कौन हो ?
क्या हो ?
क्यों हो ?
नहीं ना...........
हाँ ! सोचोगी भी क्यों ... Read more
हासिल क्या ?
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मेरे त्याग
और बलिदान से
हासिल क्या ?
हुआ मुझको !!
कभी मिली
दुत्कार मुझे !
तो कभी मिला
कु... Read more
अजन्मी की व्यथा
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माँ !!
सुना है !
डॉक्टर भगवान है !
जिन्दगी बचाकर
जिन्दगी देता है |
हाँ !!
सही भी है ... Read more
" मतलब "
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मतलब......
केवल स्वार्थ नहीं !
लेकिन यह........
कोई परार्थ नहीं |
बहुत से मायने हैं
इस मतलब के !
... Read more
" माँ नियति है "
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माँ गीता...
माँ कुरान है !
माँ आन-बान
और शान है |
माँ ममता है
माँ त्याग है !
माँ बच्... Read more
" आतंकी "
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अमानुष वो
बने हुए हैं.....
रक्त-पिपासु
आतंकी |
ढ़ाल बनाकर
मजहब को
उसको कर देते
कलंकी ||
फेंक क... Read more
" साहित्य समाज का दर्पण है "
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लेखन ऐसा चाहिए,जिसमें हो ईमान |
सद्कर्म और मर्म ही,हो जिसमें भग... Read more
पुरूष हूँ !
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पुरूष हूँ !
कोई पत्थर तो नहीं !
मुझमें भी है ...
एहसास !
निर्मलता !
और मानवता |
सदियों से ही... Read more
" धार्मिक सहिष्णुता बनाम राष्ट्रीय एकता "
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धार्मिक सहिष्णुता को समझने के लिए "धर्म " और "सहिष्णुता' ... Read more
" स्वाभिमान बनाम अभिमान "
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सांख्य दर्शन की 'प्रकृति' की तरह ही मानवीय रचना भी त्रिगु... Read more
" सरिता "
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हाँ !
मैं ही तो हूँ !
सतत् तरंगित और
नि: शब्द-सी प्रवाहित
सरिता |
शीतल जल-सा.......
'स्नेह' प्रवा... Read more
" पुस्तक समीक्षा "
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पुस्तक : बचपन पुकारे ! बालक मन के भोले गीत
लेखिका : विमला महरिया "... Read more
" हुनर "
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मुझ में भी था
हुनर !
टीलों
पहाड़ों और
वृक्षों पर चढ़ने का |
बहते झरने
बहती नदियों और
बहती हवा की
... Read more
" हुनर "
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मुझ में भी था
हुनर !
टीलों
पहाड़ों और
वृक्षों पर चढ़ने का |
बहते झरने
बहती नदियों और
बहती हवा की
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"भारत में लोकतंत्र : उद्देश्य एवं उपलब्धियाँ "
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जन का जनता के लिए ,जन का ऐसा कार |
अपनी मर्जी से चु... Read more
" लोकतंत्र "
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लोगों का
लोगों के लिए
लोगों के द्वारा |
यही तो है.......
लोकतंत्र ||
वैसे तो
वैदिक युग में ह... Read more
साहित्यकार और पत्रकार का समाज के प्रति दायित्व
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लेखन ऐसा चाहिए , जिसमें... Read more
" बेटी "
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हरी घास पर
क्षण भर बैठी !
ये भारत की शान |
मन में एक उमंग है
होठों पर मुस्कान ||
यही आन है ....
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"शोभा की अभिव्यक्ति"
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क्या शोभा ?
अभिव्यक्त हो सकती है !
हाँ .......................
शोभा कि अभिव्य... Read more
जीवन के रंगमंच पर
अभिनय से पूर्व......
आओ सँवार दूँ प्रिय !
साकर करके
निज भावों को
अपने हाथों से ||
पहना दूँ .........
गजरा ... Read more
" मैं जाग चुकी हूँ "
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हाँ मैं नारी हूँ !
सदियों से ही....
और सदियों तक भी !
अपनाया है मैंने !
सृजनश... Read more
" राष्ट्र निर्माण और विकास में महिलाओं की भूमिका "
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"नारी" विधाता की सर्वोत्तम और नायाब सृष्टि है | ... Read more
"आधार "
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झीने पट में
झिलमिल करती !
एक अलबेली नार |
बैठ तरंगिनी
के तट पर !
करती स्वेच्छाचार |
निरख रही है... Read more
" नादानी "
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याद है मुझे !
वो नादान........
नटखट बचपन |
कितना आजाद था ?
कितना मगरूर था ?
ना कोई कर्तव्य !
ना... Read more