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पापाजी कथा देख रहे थे। बोले ये कथावाचक तो जबरदस्त है। टीवी स्क्रीन पर फ़्लैश हो रहे नंबर पर कॉल लगाया। बोले जी कथा करवानी है कितना खर... Read more
बांध देना आता है मुझे समंदर तुम्हारे लिए,
तुम तूफानों से डरते हो?
फूंक देनी आती हैं माँसल लोथड़े में जान
तुम अकालमृत्त्यु से डरते ... Read more
भूल गए वो छप्पर टाट
जब से हो गए सत्तर ठाट
भूल गए वो प्यार की बाते
पा वाट्सअप फेसबुक सौगाते!
भूल गए वो माँ का आँचल
साथ बैठकर ब... Read more
मुझे ना पीना मैं निःसार हूँ
मैं काटों का कंठाहार हूँ
हर अभाव हर क्षत-विक्षत का
मैं चिंता का सूत्रधार हूँ
मुझे ना पीना मैं निःसार... Read more
धराशाही हो गयी थी तुम्हारी
वसुधैव कुटुम्बकम की धारणा
जब फ़ाको में काट दिया गया था
तुम्हारी उस दरियादिली को
जो शरणागति की तुम्हार... Read more
ये कैसा त्यौहार?
धर्म के नाम पर,
मासूमों की
गर्दनों पर वार।
ये कैसा त्यौहार?
जहाँ सब गलत है सही,
कुर्बानी के नाम पर
ख़ून क... Read more
तरबूज़ से हम;
संकटों के चाकुओं से
लोहा लेते बार बार..
परिस्थितियों की अलग-अलग
धारों से लहूलुहान होते,
बार बार
प्रजातीय सोच क... Read more
तुम्हारा हाथ मुझसे क्या छूटा,
मानों विधाता मुझसे रूठा
बाढ़ की विकराल लहरों ने
तुम्हे लील लिया माँ!
मेरा खून सूखता रहा
जैसे र... Read more
अपने हिसाब से हम भगवान का चुनाव करते है। फिर वो हमारे हो जाते हैं, हमारे ही शब्दों में। हम भगवान् को अपने हृदय से लगाने की बात कहते ... Read more
ये मथुरा की धरती हैं साहब!
जीवित हैं यहाँ कृष्ण की कहानियाँ,
जीवित हैं यहाँ राधा की निशानियाँ
यशोदा की जुबानियां,
माखनचोर की शैत... Read more
अपनी धरती के क्षितिज से
कही भी देखता हूँ,
कीड़े-मकोड़े सी भागमभाग दिखती हैं
संबद्धता कहीं नहीँ,
सब टूटे दिखाई देते हैं
कोई बाह... Read more
भाई, सांई?, कम, कसाई!
स्व, क्रुद्ध, कंठ, रुद्ध!
चिन्त, चम्भ, क्षीण, दम्भ!
शोक, योग, दुःसह, रोग!
मन, पहाड़, चीर, फाड़!
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अफवाहों को अगर
थोड़ा दरकिनार करूँ,
तो पाता हूँ की
चोटी हर महिला की
अब रोज़ ही काटती हैं।
चोटी कटवा
उस हर घर में
मौजूद है
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झुकेगा दम्भ, समय लगेगा,
हटेगा बंद , समय लगेगा
गिरूंगा आज, उठूंगा कल,
कटेगा फंद, समय लगेगा !
हारेगा खल, समय लगेगा
लताडुंगा छल,... Read more
आज ऐसा कोई भी इंसान नहीं, जिसको कोई दुःख ना हो। हर एक को कोई ना कोई दुःख अवश्य है। आखिर दुःख का स्वरूप क्या हैं? दुःख होता क्यों है?... Read more
ना आँखों में मुझे सजाओं, मैं काजल सा ठहर जाऊंगा
ना बातों में मुझे लगाओ, तुम्हारे दिल में उतर जाऊंगा
आऊंगा हर जन्म, रखूँगा जारी यह... Read more
आँखे फाड़
लक्ष्य को ताड़,
जिद पर अड़
दुःखों से लड़,
काटों पर चलना तुम्हारी ज़द हैं
क्योंकि मरना तुम्हारी हद है !
सुखों को छो... Read more
मेरे देश की लोकतंत्रीय चक्की में
तुम घुन से लगे हो,
तुम्हारी बांछे खिल जाती हैं
जब आता है तुम्हारा
वेतन बढ़ोतरी का प्रस्ताव,
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पता चली जो गलत लिखाई, लगा गलत हूँ
तुमने हटा आरी सी चलाई, लगा गलत हूँ।
पता चला की भटक गया हूँ, लगा गलत हूँ
तुमने सच्ची राह दिखाई, ... Read more
कल जब मेट्रो से जा रहा था, तीन संभ्रांत परिवार की लड़कियों को बात करते हुए सुना। एक कह रही थी, "मैंने सूअर टेस्ट किया हैं। खाने में ... Read more
तुम्हारे एक आंसू की बूंद
मेरेे दिल को चीर देती है,
बढ़ा मेरी पीर देती है
तुम समझती क्यों नही माँ?
तुम्हारी बाते महक गयी थी
तु... Read more
धार्मिक अनुष्ठानों और तीक्ष्ण कानूनों से,
गाय तो हो गयी हैं 'राष्ट्रमाता'
पर मेरा क्या?
फिरी सत्ताधीशो की नज़रे
वह हो गयी भाग्य ... Read more
अपनी जीभ के स्वाद के लिए मूक और निरीह जानवरों को जो अपना निवाला बनाते हैं, मैं पूछता हूँ, इंसानों की बारी कब आ रही है? एक दर्द से कर... Read more
बस भाई ...ज्यादा नही....
"अरे यार क्या बात कर रहा हैं.. एक पैग और ..मेरा भाई हैं एक पैग और मारेगा.. ये मारा...ये मारा... हां हा हा ... Read more
छलक पड़ती हो तुम कभी , एक कशिश छोड़ जाती हो
भिगाती बारिशें हैं मुझे, तुम तपिश छोड़ जाती हो
अलग बहता हूँ तुमसे मैं, कभी जब बहकने लग... Read more
नही कर्ण भी समता रखता नही कर्ण का दान महान,
सब दानों से बढ़कर होता एक बेटी का कन्यादान!
पिछले कितने सुकर्मों से, बेटी पैदा होती ... Read more
जीवन की वेदी पर
दुखाग्नि के हवन में
समय की आहुतियाँ
देता रहूँगा बार-बार
करता रहूँगा भस्मीभूत
तुम्हारे हर एक दारुण्य को
उठाऊं... Read more
तुम केवल बाहर से हँसते हो,
दिखावटी..
अंदर से बेहद खोखले हो तुम,
घुटन, असंतुष्टि, पीड़ा, अपमान, अहम्, ईर्ष्या..
इन सबको कही गहर... Read more
इतनेदिनों से मैं सोच रहा था, चिंतन कर रहा था, औरों को सुन रहा था, मगर अब खुद का कुछ निजी अनुभव साझा करने का समय है। अक्सर आपने सुना... Read more
वजह तुम हो तन्हाई की, मेरा त्यौहार तुम ही हो,
भले मैं पैर का घुँघरू, मगर झंकार तुम ही हो
कभी हाथों के परदे आँख पर रख, देखती हो मुझ... Read more
मिलता नही कभी भी, जिंदगी में कुछ मुकम्मल,
कभी पाते भी हो, तो बहुत कुछ गवांकर
सहज नहीं हैं मेहनत का फल चुटकी में मिल जाना,
कभी हँस... Read more
व्यापक नही हैं
संकुचित हैं अब,
'कविताओं का दायरा'
यहाँ अब भी जद्दोजहद होती हैं
घंटों...
छंदों में, तुकांत में, मात्राओं में... Read more
चमक भी पैसा
दमक भी पैसा
आटा भी पैसा
नमक भी पैसा
नाम भी पैसा
काम भी पैसा
तीर्थ भी पैसा
धाम भी पैसा
रूप भी पैसा
रंग भी पैसा
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प्रेम नहीं शादी का बंधन
प्रेम नहीं रस्मों की अड़चन,
प्रेम नहीं हैं स्वार्थ भाषा
प्रेम नहीं जिस्मी अभिलाषा
प्रेम अहम् का वरण नही... Read more
वो कोन था?
राजेश ने सहमकर पूछा।
"वो..वो दोस्त है।"
"क्या सच में वो दोस्त ही है?"
"लोगो के दिमाग में ना जाने क्या कचरा भरा होता ह... Read more
मेरे देश का गरीब,
वह ए. टी. एम्. है
जिसमे लगता है जब भी
शासन की कुटिल, लच्छेदार और 'समझदार'
नीतियों का डेबिट कार्ड,
तो बाहर आत... Read more
आस्थाओं की आस्था
प्रेम की पराकाष्ठा
निज का दफ़न ताप,
माँ और बाप ..
आंसुओं के नद
परवाह की हद
अपनेपन की अमिट छाप
माँ और बाप ... Read more
मिला हूँ जो तुझमे, तो तेरी छवि हो गया हूँ
ढलते उजालों का जैसे, मैं रवि हो गया हूँ
कोई कहता हैं पागल, कोई कहता दीवाना,
लोग देते ... Read more
सिरे से खारिज़ कर बैठता हूँ,
जब सुनता हूँ की चौरासी लाख योनियों में
सर्वश्रेष्ठ हैं आदमी,
सजीव हो उठती हैं,
नहीं आखों से हटती ह... Read more
मैं यूँ तो "भीष्म प्रतिज्ञ" नहीं, जो वचनों पर डटता आता ..
हाँ केशव सी निश्छलता में, ख़ुद को उसके सम्मुख पाता.
है अर्जुन जैसा ध्यान ... Read more
कभी हार कर भी तुम्हे पा लिया,
कभी जीत कर भी मुँह की खानी पड़ी
कभी अनहद फासलों से भी तुम मुझे ताकती रही,
कभी नजदीकियों से भी मु... Read more
कपकपाती थरथराती ये सज़ा क्यों है
फिर भी ठंड का इतना मज़ा क्यों है?
ये सिहरन, ये ठिठुरन ये गरमाई क्यों है
देर से उठने की अंगडाई ... Read more
फुटपाथों पर सोने वाले, आज खून के आंसू रोते,
समझ गये हैं फिल्मों वाले, नही कभी अपराधी होते,
समझ गये हैं पैसे वालों, का रुतबा अब भ... Read more
सेना से गर फ़ोन जो आये
मैं ना बोलू और बताये
पागल सी तू पता लगाये
जो माँ तेरा दिल घबराये
मुझको गर अपना समझे तो
तू ना गलत अंदाज़ लग... Read more
मेरे सुख दुख से परिचित सी एक गूढ़ नियंता बन बैठी,
तुम लगी घाव पर मरहम सी, दिल की अभियंता बन बैठी
जो गयी ठेलकर मुझको कल, जिस भीड़ ... Read more
जिस दिन मुन्नी की बदनामी को हंस कर देश ने स्वीकारा था
जिस दिन शीला की जवानी पर, बुड्ढे तक ने ठुमका मारा था
मारा था शालीनता को , ... Read more
"कल सुबह तुमसे मैट्रो पर मिलना है"
किशन की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, जब उसने नव्या का ये मैसेज देखा।
आखिर कितने दिनों के बाद नव्या ... Read more
बदस्तूर जारी हैं साहित्यपीडिया का कहर,
इस कदर
की कल तक जो कवितायेँ रद्दी की टोकरी
की शोभा बढ़ाती थी ,
या कुछ अनभिज्ञों द्वारा ... Read more
तेरा बचपन में मुझे पुचकारना
मेरी गलतियों पर फटकारना,
माथे पर काला टीका लगाना;
थपकियाँ देकर सुलाना
नहीं भूल पाउंगा कभी
मरने के... Read more
बिन बारिश के मौसम में, तेरा बरसना मुझे याद हैं
उन दो कजरारी अखियों का, तरसना मुझे याद हैं,
चुपके से निखरी रातों में, तेरा दिल में... Read more