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All Postsकविता (174)गज़ल/गीतिका (48)मुक्तक (26)गीत (54)लेख (13)दोहे (8)लघु कथा (5)कहानी (6)हाइकु (22)घनाक्षरी (1)तेवरी (1)
कश्मीर कभी न हथिया पाओगे पीठ पीछे वारों से।
आत्मबल क्षीण नहीं होगा, सुनों तुम जैसे गद्दारों से।
बहुत सही मक्कारी नापाक तेरी, पार क... Read more
लो फिर एक आहट यादों को कुछ भीगो सी गई
चली जो पुर्वा दिल के ज़ख्मों में शूल चुभो सी गई
वो बनके अश्क मेरी पलकों को हररोज धोते हैं... Read more
वसंत पंचमी पर माँ सरस्वती के चरणों में .....
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अनुपम मनमोहक छटा,निकट शीत का अंत ।
शुक्ल पंचमी माघ की, मनभावन है बसंत... Read more
आकुल बसंत, ले प्रीति सुगंध,
व्याकुल बसंत में, सजनी कंत।
दमके क्षितिज पार,बन धूप पैबंद,
पगडंडि यौवन की, प्रीत अनंत।
कुहू- कुहू... Read more
बस अंत हुआ मानों सर्दी का, देखो बसंत नव आया है।
बस अंत हुआ मानों विरहा का, रंग प्रेम बसंती छाया है।
बस अंत हुआ छोटी रातों का,देखो ... Read more
माथे की बिंदिया चमचम,
पैरों में पायल की छनछन,
हाथों में कंगन की खनखन,
रुनझुन छनके कमरबंद,
करते साजन का अभिनंदन।
रिश्ता अपना ख... Read more
"स्त्री सरिता सादृश्या"
' गो विद द फ्लो' अर्थात जैसा वक़्त आये, उसके संग -संग बहो..
क्या सचमुच हम ऐसा कर पाते हैं?या इस उक्ति को ... Read more
#मनहरण_घणाक्षरी छंद
प्रथम प्रयास
आसमां में काले घन, उमड़ चले हैं तन
दामिनी के संग मिल, नगाड़े बजात हैं।
मेघ देख विरहन, व्याकु... Read more
सुनो,आज करते हम घोषित
सेल्फि अपनी, खुशी से पोषित।
हम भी खुश हो सकते हैं जी
दुखों को कर देंगे, हम शोषित।
आओ चलो सब पोज़ बना लें... Read more
उफ़ ये इश्क़ की दुश्वारियाँ .....
दिल लगा के तो देख कभी नीलम
ग़र समझनी, इश्क़ की दुश्वारियाँ।
इक जुनूँ और महज़ दिवानापन नहीं,... Read more
सुन, अमलतास है खुद में खास
विरह के ताप का,इसे अहसास।
यह चमक लिए तपे कुंदन सी
नहीं खुद की कीमत का आभास।
श्वास का सिंचन,
यह जीव... Read more
मुद्दतों बाद फिर याद आया सनम
भूलने में जिसको लगे ज़माने मुझे।
बस इक हिचकी आई, हुईं आंखें नम
वो गुज़रे हुए पल याद लगे आने मुझे।
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अलीवर्ण_पाद_छंद
विषय - आंखे, नैन
सुदूर करतीं
हैं अवलोकन।
आँखें आतीं भर
साथी की सुध कर।
चमक है लातीं,
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सुरभित शीत बयार,घन गरजे चपला संग,
आने को बरसात, विरहनी भरा मन उमंग।
ताड़-तरु खग-विहग संग पूर्वा,लगी गाने,
कूके कोयल, मोर, प्रकृति... Read more
वतन
बलिदान त्याग ग़र शहीद न करते, तो हम होतेआज़ाद नहीं।
सतत प्रयास अब तक आज़ादी, सुन सच में हम आज़ाद नहीं।
जटिल पुरातन या हो नूत... Read more
मुहब्बत में माही से होकर जुदा
ये रुह-ए-रवां फिर किधर जाएगी।
समय चलता है, चलता रहेगा सदा
दुखों की घड़ी भी बदल जाएगी।
ख़ुद मुझे भी... Read more
हमसफ़र
मिलने की तरह मुझ से वो, पल गज़र नहीं मिलता
साथी तो बहुत नीलम,मगर हमसफ़र नहीं मिलता।
हैं मील के पत्थर भी बहुत,ज़रा देख... Read more
ऐसा नहीं कि रुकना गवारा कभी न था
हमको मगर किसी ने पुकारा कभी न था ।
हम खामखां ही इश्क में जिसके डूबे रहे
उसने जिगर में हमको, उ... Read more
आजा कि बेकरार होकर दिल करता है इंतज़ार तेरा
जान ले लेगा सनम जाकर फिर आने का करार तेरा
निगाहें हैं लगी राहों पे कि कब आओगे तुम
बे... Read more
बिलखते अहसास
"वेल्यु आफ इंग्लिश!"
मालिनी अध्यापिका है, बहुत मेहनती भी है और बच्चों के स्तर को समझकर ही उन्हें कुछ सिखाने के लिए प्... Read more
दिल से आभारी हूँ कि,
तूने मुझे प्यार करना सिखला दिया ।
चाहतें कैसे बदल देती हैं ज़िन्दगी को,
ये भी हमें बतला दिया ।
दर्द , आँ... Read more
मैं नज़्म लिखूं या कि फिर कोई ग़ज़ल
ज़ख्म बन यादें तेरी,क्यूं खींची आतीं हैं।
फासले यूं ही नहीं आए दरमियां हरपल,
तेरे लफ़्ज़ों की... Read more
ख्वाबों के आकाश में,
अभी तो पंख फैलाएँ हैं मैंने मंजिल ।
असली उड़ान होसलों की ,
ज़िन्दगी में अभी बाकी है
देनें हैं कई इम्तेहा... Read more
किसे पुछूँ ? है ऐसा क्यों ? हुई हाय क्या ख़ता है।
कहाँ ढूढूं ? वो मीठे पल,सनम जब बेवफा है।
बेजुबान है इश्क मेरा, नहीं इसकी... Read more
रास रचाया गोपियों संग और जिया को भा गई राधा
बाँध के अंखियन की डोरी से कान्हा को पा गई राधा
प्रीत अमी नयनों से अपने पिला गई राध... Read more
है महज़ इक ख़्वाब सा तू,महबूब माहताब मेरे
तुझको देखा किया करूं,या कि फिर भूल जाऊं।
दिल के कागज़ पे लिखे,सुर्ख लहू से मजबूं मेरे
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बाल हनुमान
1
त्रेता युग की बात है जब पृथ्वी पर छाया भार
भार मुक्त करने धरा,शिव शंभू लिए अवतार।
चैत्र शुदि पूनम को,कपिराज केसरी ... Read more
विधा- गीत
मुखड़ा-
चाहत में तेरी डूबी मेरी आंखें
मोहब्बत का सुन खुलने वाला राज़ है,
न जाने मोहब्ब्त का अंजाम होगा क्या
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गीत
देख सनम इक बार,बैठ संग स्नेह से निहार साथी।
नीलम नैन बस छवि तुम्हारी,प्रीत की मनुहार साथी ||
प्रीत भाष सुंदर सुभाष,हो रा... Read more
विषय शब्द -धड़कन
दिनांक-17-11-18
मिरी चाहत तेरे दिल का, सुरीला साज बन जाती।
धड़कने भी सुनो हमदम,मधुर आवाज बन जाती।
निगाहों ने ... Read more
सूने घर के बंजर आंगन में,कुशा रूप उगे रोंये
कुछ बीजों से सजी है बगिया,कुछ गमलों ने संजोए।
हर एक बीज बूढ़ी अम्मा ने था, बहुत स्नेह ... Read more
माँ
(1)
जननी, माँ, प्रसू,धात्री,वत्सला,सुदर्शना ममतामयी
ओस कणों सी निर्मल कोमल जीवन बगिया सरसा गयी
आँखों में है नीर तेरे ,माँ त्... Read more
विषय-कोटि नमन और वंदन देश,पूजन अर्चन अभिनन्दन देश।
सबसे बढ़कर देश मेरा, तिरंगा परचम,उर लहर उमंग
स्वतंत्रता दिवस, पावन सुदिन सब रं... Read more
सादर प्रेषित🙏
हाइकु-बादल
1)बादल अश्रु
बंजर वसुंधरा
गोद भरते।
2)
बरसा मेघ
धरा लहलहाई
प्राणी प्रसन्न।
3)
श्याम बादल
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हैं बाट जोहती नल पर.......
कुछ सोच रहीं क्यों जल जीवन?
कुछ कलश सहेजे कमर पर।
हैं बाट जोहती नल पर.........
कोई न नद जल कूप शे... Read more
मेघ मनुहार
बादल- बदली कर रहे शीर्ष गगन मनुहार
सजल नयन में ढूँढते, जन्म जन्म का प्यार।
क्षितिज पार अंबर ऊपर, धवल मेघ संसार
नयन ... Read more
दो वक्त की दाल- रोटी को है, देखा लाचार होता बचपन,
गुटके-बीड़ी और अगरबत्तियों में देखा धुंआ होता बचपन।
कूड़े के ढेर और गंदे इनालों ... Read more
ग़मगीन सूनी सारी गलियाँ,उजाड़-वीरां सारे गाँव,
कंक्रीट हृदय,उजड़ी बस्ती,नहीं शेष पेड़ों की छाँव।
निर्जन नहीं गाँव कूचे गलियाँ रिश्ते भ... Read more
सादर प्रेषित🙏
मिसरा- रोज़ पढ़ता हूँ, भूल जाता हूँ......
मैं तो सिर्फ सिफर के मानिंद,है सनद भी ख़ाली
रोज़ पढ़ता हूँ कायदा और भूल ज... Read more
डगमग डगमग डोले मनवा, ,,,,,,,,,बाल हृदय अनोखा चाव है।
आओ देखो बंटी - बबली क्या खूब बनी कागज की ये नाव है।
पहली बूंद पावस की पाकर, ह... Read more
छंदबद्ध काव्य सृजन
प्रदत्त शब्द:
पैसा / दौलत ; ईश्वर / ख़ुदा ; इंसान/आदमी
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धन-दौलत आजकल बना धर्म ईमान इंस... Read more
वृक्ष हाइकु
1)
पेड़ विटप
प्राकृतिक सम्पदा
पर्यावरण।
2)
धरा श्रृंगार
जीवन के आधार
तरु वल्लरी।
3)
दें प्राणवायु
औषधि ऑ... Read more
सादर प्रेषित🙏🙏
❆ विषय - इताब (इताब = क्रोध)
❆ तिथि - 08 जून 2018
❆ वार - शुक्रवार
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नीम हकीम परास्त हुए, ... Read more
शब्द- मंथन,कथन, चिंतन, सृजन,हनन
मंथन,मथना अथार्त गूढ़ तत्त्वों की छान-बीन,
बिन मंथन निष्कर्ष पर,पँहुचे दीन मति हीन।
चिन्तन बाध... Read more
रदीफ़ - होगा।
मुझसे जब दूर,खुदको दिलबर ने पाया होगा।
खंज़र यादों का, खुदी दिल पे चलाया होगा।
अश्क़-ए-ग़म का समंदर,न... Read more
लघु कथा-प्रदर्शनी
अख़बार पढ़ते पढ़ते माँ स्तब्ध हो बैठ गई।पिताजी समझ गए कि उन्होंने अवश्य ही मानवता को शर्मसार करती कोई खबर पढ़ ली है।... Read more
पर्यावरण विवश!!!
विश्व स्तर पर फैला प्रदूषण, कर पर्यावरण को विवश।
देखो,मात्र कुछ वृक्ष लगाकर, मन रहा पर्यावरण दिवस।
ये तो वही ब... Read more
यादों के पृष्ठ..........एक संस्मरण......✍️
दस पटाख़े!
पिछले महीने की ही बात है मेरी खास मित्र के होमटाउन जाने का हमारा 10 जनों का प... Read more
एक चेहरा!
प्रकृति वसुधा परिवेश पर्यावरण
पीड़ा में रहें हैं कबसे पुकार।
अब तो अति हो गई मानव,
अपना व्यवहार सुधार।
रात को पर्य... Read more
Idle mind devil's workshop. जी हाँ,खाली दिमाग अर्थात 👹👿☠️💀शैतान का घर और जिस हिसाब से हर जगह कंस्ट्रक्शन चल रही तो अपार्टमेंट,बिल्डि... Read more