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2122 2122 212
चोटियों को मापती हैं बेटियाँ
अब गगन बन बोलती हैं बेटियाँ।1
हो रहे रोशन अभी घर देख तो
रूढ़ियों को तोड़तीं है बेटि... Read more
चोटियों को मापती हैं बेटियाँ
अब गगन बन बोलती हैं बेटियाँ।1
हो रहे रोशन अभी घर देख तो
रूढ़ियों को तोड़तीं है बेटियाँ।2
अब नहीं ... Read more
दिन बदलते देर लगती कब बता?
भेड़ बनकर घूमता है भेड़िया।1
लूटकर सब ले गया हर बार ही
माँगता है जो बचा फिर से मुआ।2
मुंतजिर हम रह ... Read more
पल- पल से मैं आज अपरिचित
जानी-सी आवाज अपरिचित।1
उड़ता जाता दूर गगन में
फिर भी है परवाज अपरिचित।2
मंजिल के कुछ पास पहुँच कर
... Read more
चोर(लघु कथा)
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गाँव में चोरों का प्रकोप बढ़ रहा था। लोग परेशान थे।आये दिन किसी-न-किसी घर में चोरी हो जा रही थी। ग्राम प... Read more
गीतिका/हिंदी गजल#(दीप-पर्व पर)
(वाचिक भुजंगप्रयात छंद)
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चलो रोशनी को जगाने चलें हम
अँधेरे यहाँ से हट... Read more
#गीतिका#
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टूटता रहता घरौंदा फिर बनाना चाहिये
जोड़कर कड़ियाँ जरा-सा गुनगुनाना चाहिये।1
जिंदगी से दर्द का बंधन बड़ा मशहूर है... Read more
गजल#
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यूँ ही मरने की बात न कर
जीवन ऐसे सौगात न कर।1
रहमत है तू यार खुदा की
कैसे भी तो खैरात न कर।2
आँख लड़ी तब मर्ज ब... Read more
#गजल#
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होंगे उनके ढ़ेरों मकसद
भूल गये हैं वे अपनी जद।1
पढ़ते स्वार्थ- पुराण बहुत ही
उनके अपने-अपने हैं पद।2
धरती को ... Read more
हर सुबह दीया बुझाता हूँ
शाम होते फिर जलाता हूँ।1
टूटते रहते यहाँ सपने
आस मैं फिर से लगाता हूँ।2
कौन कहता है खता अपनी
क्यूँ ... Read more
अभी तो बस जरा हमने कला अपनी दिखायी है
समझ में लग रहा उसको भली सब बात आयी है।1
अमन की कोशिशों को अब तलक वह ढ़ोंग कहता था,
लगा झट... Read more
लूट का धंधा करें जो वे सभी रहबर हुए
जिंस कुछ जिनकी नहीं है आज सौदागर हुए।1
आशियाने जल रहे सब हो रहे बेघर यहाँ,
अब परिंदे क्या उ... Read more
#गजल#
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नहीं चाहता जो कराती, बता दे,
अलग राह तू क्यूँ चलाती बता दे?1
बहुत दूर पीछे रखा था नशा को,
मगर बास घर से ही' आती... Read more