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किसे पता था दिन बचपन के यारों यूं खो जाएंगे ,
हम लाख पुकारेंगे इनको पर लौट के फिर ना आएंगे Il
गिल्ली डंडा खेल कबड्डी सब खानपान ख... Read more
माँ तेरी मुस्कान पर कुर्बां हो जाऊं मैं ,
जितने मुझको जन्म मिले तेरा ही आंचल पाऊं मैं !
तेरी गोदी में खेला तो मुझको जन्नत की मौज... Read more