
Follow
8 Followers
'पर्यावरण बचाओ' हरी-भरी हो धरा हमारी, सृष्टि सुन्दर बने हमारी| स्वस्थ, स्वच्छ और मनमोहक हो,… Read more
Followers
‘पर्यावरण बचाओ’
हरी-भरी हो धरा हमारी,
सृष्टि सुन्दर बने हमारी|
स्वस्थ, स्वच्छ और मनमोहक हो,
हो प्रफुल्लित जगती सारी|
ऐसी तान बजाता हूँ मैं,
अपनी पहचान बनाता हूँ मैं||
जन-जन तक ये अलख जगाएँ,
सब मिल आओ पेड़ लगाएँ|
‘मयंक’ धरा की स्वच्छ छवि हो,
खुशियाँ इस तरह बाँटें हम।
ऐसा राग सुनाता हूँ मैं,
अपनी पहचान बनाता हूँ मैं||
रचयिता : के.आर.परमाल ‘मयंक’
22 वर्षों से अध्यापन कार्य में संलग्न ।
विद्यार्थी काल से ही काव्य रचना में रुचि है| वर्ष 1994 में ‘इनके नाम महान’ पहली रचना विद्यालयीन पत्रिका “ज्योत्सना” में सांकृतिक सचिव (विद्यार्थी संघ) के रूप प्रकाशित हो चुकी है|