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मग वैद्यक परिचर्चा
: दिलीप कुमार पाठक
बाबा बाबा थे। अब स्वर्गीय केशव पाठक जी वैद्य। सामने काँसे का लोटा बाबा का याद दिल... Read more
पंचांग क्या है?
: दिलीप कुमार पाठक
पंचांग क्या है ? इससे हम -आप सभी परिचित हैं, इसके महत्व को समझते हैं। दैनिक जीव... Read more
पटना पटना है ( आपवीती) क्रम:२.
: दिलीप कुमार पाठक
बाबा के अन्त्यकर्म में लगने के साथ-साथ पटना भ्रमण की योजना थी। त... Read more
पटना पटना है ( आपवीती) क्रम:१.
: दिलीप कुमार पाठक
दशहरे के दिन बेबी बच्चियों को साथ ले अपने भाई के साथ मायके चली ग... Read more
ड्रेस-कोड
: दिलीप कुमार पाठक
मेरा दो ड्रेस है. एक भगवा, दूसरा लेवर ड्रेस. ड्यूटी दोनों में बजता है, जिससे अपना द... Read more
तर्पण
क्रम-२.
जिन पितर का स्वर्गवास हुआ है, उनके किये हुए उपकारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना, उनके अधूरे छोड़े हुए पारिवारिक ... Read more
तर्पण
क्रम-१.
तृप्ति के लिए तर्पण किया जाता है. हमारे यहाँ मान्यता है कि मरनोपरान्त हमारे पितर स्वर्ग जाते हैं. स्वर्ग में वे स... Read more
चुट्टे और चींटियाँ
: दिलीप कुमार पाठक
गया में एक जगह मैं एक जैनी महिला के पास शत्रु-शमन हेतु हनुमान चालीसा ... Read more
तर्पण
:दिलीप कुमार पाठक
अभी पितरपख चल रहा है। जजमान के घर से बुलावा आया था पितरन के तर्पण की खातिर। बड़... Read more
बाबा का सिनेमाहॉल
: दिलीप कुमार पाठक
क्रम २
नन्हका बाबा को भाला तो भोंका गया. अब प्रश्न उठता है भाला क्यों भोंकाया... Read more
जनता.............!
: दिलीप कुमार पाठक
कुआँ सबको दिखे
इसमें क्या गड़बड़ी है ?
खुद को गड़ेड़िया समझ
भीड़ को भें... Read more
सब मर रहे हैं।
: दिलीप कुमार पाठक
सब मर रहे हैं।
आपस में
बस लड़ रहे हैं।
मैं देख रहा हूँ,
बस चुपचाप।
मुझे... Read more
मग वैद्यकी
: दिलीप कुमार पाठक
बाबा बाबा थे। अब स्वर्गीय केशव पाठक जी वैद्य। सामने काँसे का लोटा बाबा का याद दिला रहा है... Read more
धत्त तेरे की
तरह-तरह की व्यस्तता के बीच आ गये मग विदूषक देवन मिसिर. कहा गया, " इनपर कहानी लिखीए."
आँती में इनपर एक गोष्ठी रखी गय... Read more
मेरे बाबुजी के हिस्से का खपड़ैल.
: दिलीप कुमार पाठक
मैं हूँ सामान्य श्रेणी का पहले पायदान का एक आम भ... Read more
लाठा-कुँड़ी
: दिलीप कुमार पाठक
एक दिन पड़ाइन, " का जी ? सुन हीबs कि सब से बड़का- बड़का मजाक कर हहु. हमरा आँगे मुँ... Read more
फिटनेश हाथी का
: दिलीप कुमार पाठक
परिवहन विभाग की स्थिति बड़ी गजब है। बगैर बिचौलियों का कोई काम ही संभव नह... Read more
तर्पण
:दिलीप कुमार पाठक
अभी पितरपख चल रहा है। जजमान के घर से बुलावा आया था पितरन के तर्पण की खातिर। ब... Read more
गुपकाईं-गुपकाईं
: दिलीप कुमार पाठक
बहिन के हाले में रोकसदी हो गेलक. मइया-बाबुजी हरिद्वार गेलन हे. बच गेलन द... Read more
शिक्षक दिवस पर प्रस्तुत है अपनी एक कहानी जो बिहार की तत्कालीन ग्रामीण शैक्षिक परदृश्य को प्रकट करती प्रतीत होगी। थोड़ी लम्बी है, अतः... Read more