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पैरों पे अपना ख़ूने जिगर मल रहा हूँ मैं
बेहद थका हुआ हूँ मगर चल रहा हूँ मैं
शायद के हो ही जाए मुक़द्दर में रौशनी
मानिंद ए आफ़ताब ए... Read more
मुश्किलों, दुश्वारियों में गमज़दा होता ना था
इक सुकूँ होता था तब, जब मैं तेरा होता ना था
सोचते थे छोड़ देंगे तुझको, तेरी बज़्म को
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यूं मरने का इरादा क्यों करुँ मैं
तिरी हसरत ज़ियादा क्यों करूँ मैं
हैं मेरी लरजिशें अंदाज़ मेरा
यूं अहदे तर्के बादा क्यों करूँ मैं... Read more
जो अगर जां ब-लब नहीं आती
यूँ ग़ज़ल ता-ब-लब नहीं आती
वो कभी मुन्तज़िर रहा होगा
याद उसको भी अब नहीं आती
मेरे दिन से उजाले ग़ाफ़िल ... Read more
इस शहर में क़याम बाकी है
कुछ अधूरा सा काम बाकी है
गुफ़्तगू सबसे हो गयी मेरी
सिर्फ उनका सलाम बाकी है
इक शजर पे बहार आयी है
दिल... Read more