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लहजा कितना ही साफ हो लेकिन, बदलहज़ी न दिखने पाए, अल्फ़ाज़ों के दौर चलते रहें,… Read more
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लहजा कितना ही साफ हो लेकिन,
बदलहज़ी न दिखने पाए,
अल्फ़ाज़ों के दौर चलते रहें,
ये सिलसिले कभी ना रुकने पाएं,
कोशिश यही रहेगी मेरी,
कि दिल किसी का ना दुखने पाए।
बस इसी विचारधारा के साथ मैं साहित्यपीडिया पर अपनी कविताएं और लेख लिखने का प्रयास करूंगा।
Email- amber.srivastava84@gmail.com
What’s app-9719293562