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6 Jan 2020 · 1 min read

मेरे सपनो के हर एक दाव हैं पापा

खुली छत हो तो सिर पर छाव हैं पापा,
मेरे पथ में कदमों के कदमताल हैं पापा।
जिसने खुद के सपनों को है तोड़कर जिया,
मेरे सपनों के हर एक दाव हैं पापा ।।

मेरे दुखों से सुख के अंतराल है पापा,
कहीं भव्य तो कहीं कराल हैं पापा।
जिसने खुद के जुबां को है थामकर जिया,
अब मेरी जुबां के मीठे स्वाद है पापा।।

Language: Hindi
2 Comments · 248 Views
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