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16 Feb 2017 · 1 min read

II मुख खोलें तो बोलिए II

मुख खोलें तो बोलिए , कुछ तो मीठे बोल l
अपने ही सब हो गए ,कौन पराया बोल lI

कौन पराया बोल ,शब्द की महिमा ऐसी l
ज्यों भटके को राह, पथिक को मंजिल जैसी lI

यही गीता कुरान ,और रामायण बोले l
सोचे शत शत बार ,तभी अपना मुख खोलें ll

संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l

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