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10 Feb 2017 · 1 min read

II प्यार की भाषा… II

प्यार की भाषा पढ़ो फिर देखना l
नाम मेरा भी जरा लिख देखना ll

रोते बच्चों को हंसा दो है बहुत l
काबा काशी भी यही तुम देखना ll

क्या हुआ जब टूटता तारा कोई l
टूट कर बिखरा हुआ दिल देखना ll

है पता के काफिया मेरा गलत l
तोड़कर कुछ बंदिशें भी देखना ll

आती है कुछ को कलाकारी यहां l
रात को दिन आप भी कह देखना ll

छा सके जादू तेरा कैसे “सलिल”l
नींद में सपने ही तो फिर देखना ll

संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l

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