Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Mar 2020 · 1 min read

II टूटा सपना II

जब कोई सपना टूटा होगा l
कहीं किसी ने लूटा होगा ll

मुंह फेरे बैठा मेरे सामने l
अपना ही कोई रूठा होगा ll

सारे ही हम हुए गरीब l
कल से सबका कोटा होगा ll

दुख दर्द कौन अब बांटेगा l
संवेदना का भी टोटा होगा ll

सबको अपनी पड़ी हुई हैl
देश पड़ा कहीं रोता होगा ll

‘सलिल’ बगावत की ना आहट l
पर घूंट लहू का पीता होगा ll

संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश

361 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#दोहा-
#दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
थोपा गया कर्तव्य  बोझ जैसा होता है । उसमें समर्पण और सेवा-भा
थोपा गया कर्तव्य बोझ जैसा होता है । उसमें समर्पण और सेवा-भा
Seema Verma
सर्जिकल स्ट्राइक
सर्जिकल स्ट्राइक
लक्ष्मी सिंह
2702.*पूर्णिका*
2702.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
अमृत वचन
अमृत वचन
Dinesh Kumar Gangwar
धनमद
धनमद
Sanjay ' शून्य'
आप अपने मन को नियंत्रित करना सीख जाइए,
आप अपने मन को नियंत्रित करना सीख जाइए,
Mukul Koushik
आब-ओ-हवा
आब-ओ-हवा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
प्रकृति प्रेमी
प्रकृति प्रेमी
Ankita Patel
* किधर वो गया है *
* किधर वो गया है *
surenderpal vaidya
ज्ञान -दीपक
ज्ञान -दीपक
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"वादा" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
देशभक्ति जनसेवा
देशभक्ति जनसेवा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*मौसम बदल गया*
*मौसम बदल गया*
Shashi kala vyas
टूटते उम्मीदों कि उम्मीद
टूटते उम्मीदों कि उम्मीद
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
যখন হৃদয় জ্বলে, তখন প্রদীপ জ্বালানোর আর প্রয়োজন নেই, হৃদয়ে
যখন হৃদয় জ্বলে, তখন প্রদীপ জ্বালানোর আর প্রয়োজন নেই, হৃদয়ে
Sakhawat Jisan
जिंदगी और जीवन तो कोरा कागज़ होता हैं।
जिंदगी और जीवन तो कोरा कागज़ होता हैं।
Neeraj Agarwal
दो शब्द यदि हम लोगों को लिख नहीं सकते
दो शब्द यदि हम लोगों को लिख नहीं सकते
DrLakshman Jha Parimal
हारो मत हिम्मत रखो , जीतोगे संग्राम (कुंडलिया)
हारो मत हिम्मत रखो , जीतोगे संग्राम (कुंडलिया)
Ravi Prakash
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आस्था होने लगी अंधी है
आस्था होने लगी अंधी है
पूर्वार्थ
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
कवि रमेशराज
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Neelam Sharma
श्रम कम होने न देना _
श्रम कम होने न देना _
Rajesh vyas
आदिकवि सरहपा।
आदिकवि सरहपा।
Acharya Rama Nand Mandal
एक गजल
एक गजल
umesh mehra
एक उलझन में हूं मैं
एक उलझन में हूं मैं
हिमांशु Kulshrestha
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
Shweta Soni
ज़िंदगी के सारे पृष्ठ
ज़िंदगी के सारे पृष्ठ
Ranjana Verma
Loading...