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11 Feb 2017 · 1 min read

II जमाने का मेला II

एक मेला लगा लोग आने लगे l
माल जो बिक गया लोग जाने लगे ll

एक बहाना बनाना बड़ा काम था l
हाल अपना बताने जमाने लगे ll

वो ना आए मुलाकात होती नहीं l
सरहदों पे उसे फिर बुलाने लगे ll

देखता रोज ही आईना मैं मगर l
अक्स मेरे हि मुझको चिढ़ाने लगे ll

जो भी होता नियत गीता का ज्ञान है l
आप अपना पराया बताने लगे ll

ऊंची बातें करो सोच ऊंची रखो l
आसमा से नजर तुम मिलाने लगे ll

संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l

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