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13 Feb 2017 · 1 min read

II क्या अब चाहिए II

मुझसे उसने हि पूछा क्या कुछ चाहिए l
छूटे साथ तेरा ऐसा—नहीं अब चाहिएll

छोटी मोटी मेरी —–कोई ख्वाहिश नहीं l
अब मुझे अपने में —तेरा असर चाहिए ll

बिन मांगे ही— सब कुछ मिला है मुझे l
कैसे बताऊं मुझे —–क्या अब चाहिए ll

वाणी हो मौन—— विचार मर जाए जब l
सब मिल जाएगा- फिर ना कुछ चाहिए ll

जो तेरी रोशनी——— मिल गई है मुझे l
क्या बचा और मुझको जो अब चाहिए ll

संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l

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