Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Feb 2017 · 1 min read

II..आशिकी के सामने…II

कब चला है बस किसी का आशिकी के सामने l
दो जहां की क्या खुशी तेरी हंसी के सामने ll

आजकल मदहोश है हम बे सबब ही रात भरl
नींद भी आती कहां अब तो खुशी के सामने ll

रूप ऐसे के खिला जैसे कमल हो झील मेंl
सादगी भी सीखती कुछ सादगी के सामने ll

क्या हुआ कैसे हुआ बिन कुछ कहे ही सब हुआ l
रेत के टीले के जैसा मैं नदी के सामने ll

बिन तेरे अब जिंदगी यह कल्पना से भी परे l
ए जुबा खामोश उसकी एक अदा के सामने ll

हो ‘सलिल ‘जब पार पाना बाढ़ से मुश्किल बहुत l
छोड़ दो सब कर भरोसा अब किसी के सामनेll

संजय सिंह’सलिल’
प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश l

537 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जुल्मतों के दौर में
जुल्मतों के दौर में
Shekhar Chandra Mitra
शिक्षा का महत्व
शिक्षा का महत्व
Dinesh Kumar Gangwar
हिंदी सबसे प्यारा है
हिंदी सबसे प्यारा है
शेख रहमत अली "बस्तवी"
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
Ravi Prakash
जिंदगी की धुंध में कुछ भी नुमाया नहीं।
जिंदगी की धुंध में कुछ भी नुमाया नहीं।
Surinder blackpen
बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे रामजी
बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे रामजी
gurudeenverma198
स्वप्न मन के सभी नित्य खंडित हुए ।
स्वप्न मन के सभी नित्य खंडित हुए ।
Arvind trivedi
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
Dr. Man Mohan Krishna
चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
Seema gupta,Alwar
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Neeraj Agarwal
//सुविचार//
//सुविचार//
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
हम इतने भी बुरे नही,जितना लोगो ने बताया है
हम इतने भी बुरे नही,जितना लोगो ने बताया है
Ram Krishan Rastogi
2606.पूर्णिका
2606.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
వీరుల స్వాత్యంత్ర అమృత మహోత్సవం
వీరుల స్వాత్యంత్ర అమృత మహోత్సవం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
👍👍
👍👍
*Author प्रणय प्रभात*
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
कवि दीपक बवेजा
डर
डर
अखिलेश 'अखिल'
चलो जिंदगी का कारवां ले चलें
चलो जिंदगी का कारवां ले चलें
VINOD CHAUHAN
खुद के वजूद की
खुद के वजूद की
Dr fauzia Naseem shad
पत्थर - पत्थर सींचते ,
पत्थर - पत्थर सींचते ,
Mahendra Narayan
कितना प्यार करता हू
कितना प्यार करता हू
Basant Bhagawan Roy
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Hajipur
Hajipur
Hajipur
प्यार
प्यार
Anil chobisa
Dil toot jaayein chalega
Dil toot jaayein chalega
Prathmesh Yelne
द्रुत विलम्बित छंद (गणतंत्रता दिवस)-'प्यासा
द्रुत विलम्बित छंद (गणतंत्रता दिवस)-'प्यासा"
Vijay kumar Pandey
रिश्तों का एक उचित मूल्य💙👭👏👪
रिश्तों का एक उचित मूल्य💙👭👏👪
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मैं अक्सर तन्हाई में......बेवफा उसे कह देता हूँ
मैं अक्सर तन्हाई में......बेवफा उसे कह देता हूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मुझसे बेज़ार ना करो खुद को
मुझसे बेज़ार ना करो खुद को
Shweta Soni
Loading...