गज़ल/गीतिका
इश्क की, बातें, वो क्या जाने ज़नाब
जिसे पसंद हो, जिन्दे जिस्म का क़बाब
चुभता रहा हो जो, खुद में, शूल की तरह
वो, क्या जाने भला,... Read more
कहते हैं इऱादे बुलंद हो और मश़क्क़त का जज़्बा ए जुनूऩ हो तो मंज़िल हास़िल होती है ।
पर तकदीर साथ न दें तो तदब़ीर से खड़े किए महल भी ख... Read more
जिंदगी के सफ़र में हम बढ़ते रहे ।
जब तब मिली अपनों से मिलन की खुशियांँ।
तो कभी अपनी च़ाहत को खोने का ग़म ।
कभी व़क्त की कऱवट से निख... Read more
क्या पहली नज़र में प्यार हो जाता है ।
जुबाँ गुमसुम रहती है नजरों से इज़हार हो जाता है।
दिल से दिल की राह बनती है ।
ए़हसास ए इक़र... Read more
टूटे दिल ने अब अरमानों के गुलशन बनाना छोड़ दिया ।
सच के आईने में झूठ को सँवारना छोड़ दिया ।
प्यार की रुस़वाई जब से हुई ज़माने ... Read more
समंदर से जुदा हो गए तो उन लहरों का क्या होगा
कलियां जो रही रुठीं तो फिर भंवरों का क्या होगा
गांवों से ही है आबाद शहर हर एक जमाने क... Read more
ग़ज़ल- रुकती ग़म की...
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रुकती ग़म की कभी न धारा है
इस नदी का नहीं किनारा है
धन की खातिर ज़मीर को बेचूँ
यह तो बिल्कुल नह... Read more
अब बस भी कर दरिंदे! ,कुछ तो अपनी हद कर ,
इंसान बनकर गुनाहों से अपनी तू तौबा कर ।
रो रहा है तेरा जमीर ज़ार -ज़ार ,ज़रा देख !
हैवान... Read more
मुहब्बत इबादत मुहब्बत दुआ है
मुहब्बत के बल पर ज़माना खड़ा है
जो मेरा है वो भी न मुझको मिला है
यही भाग्य में मेरे शायद लिखा है ... Read more
जब दिल ही टूट गया तो द़र्दे द़िल की आवाज निकलेगी कैसे ?
प्यार का दामन छूट गया है तो इश्क की मंजिल मिलेगी कैसे ?
अब भटकता है ... Read more
रूठता है तो कभी खुद मान जाता चाँद
सबको अपनी इन अदाओं से लुभाता चाँद
लोरियों में आ के बच्चों को सुलाता चाँद
रोज सपनों की नई ... Read more
जल रही है नारियां पद्मावती के भेष में।
टूटती मर्यादा नित क्यों राम तेरे देश में।।
लुट रही अस्मत सभा में, बेटियों की अब यहाँ।
म... Read more
अगर यकी नहीं आता तो आजमाओ मुझे,
अरे,
सच में अंदर से टूट गया हूं,
तू कहे तो बिखर कर दिखाऊं तुझे।
अजब आग है दिन-रात जलती है लोगो... Read more
सुलगे सुलगे दिवस मिले, सहमी सहमी रात मिली
फूल मिले या काँटे हमको ,आँसू की सौगात मिली
जीवन पथ पर पहले से ही, हमको बिछी बिसात मि... Read more
अब वो चुप रहते हैं कुछ कहते नहीं।
हम बोलते हैं तो भी वो सुनते नहीं।
समझ ना पाऊं कल तक जो चहकते रहते।
क्या है उनके ग़ुमसुम़ स... Read more
कैसा है माहौल कि दहलने लगे हैं लोग
चलते हुए भी कितना संभलने लगे हैं लोग ।
कल तक थी दिलों में राय जो पुख़्ता
यकबयक फिर कैसे बहलने... Read more
बेबसी
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रेत पर फिर इबारत लिखने को मन कर रहा है
हवा का तेज झोंका उसे मिटाने की सोच रहा है... Read more
जो कभी था मेरा वो बिका मिल गया
ज़िंदगी का अज़ब ये सिला मिल गया
थे कभी लब पे चर्चे हमारे मगर
आज चर्चा ही लब पे ज़ुदा मिल गया
... Read more
फिर से काश कोई ऐसा सवेरा हो जाए!
जिस में मैं तेरा और तू मेरा हो जाए!
ज़िन्दगी मेरी सिर्फ तेरे लिए हो ख़ास!
तू ही हो मेरी धड़कन... Read more
प्यार की इंतेहा नहीं होती ।
प्यार की ज़ुबाँ नहीं होती।
प्यार तो एक ए़़हसास है ।
जो दिल से म़हसूस किया नज़रों से बयां किया जाता है... Read more
ग़ज़ल- आँखें बता रहीं हैं...
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आँखें बता रहीं हैं कि इनकार है नहीं
शायद लबों ने झूठ कहा प्यार है नहीं
दिल हारने क... Read more
हसीँ गुलनाज़-ए-मन्ज़र, अभी भी, याद में क्यूँ है,
सिफ़त,अदबो-हुनर उसका,अभी भी ख़्याल मेँ क्यूँ है।
चला जाता हूँ मैं, मानिन्दे-अफ़सू... Read more
ज़िन्दगी भर नफ़े नुक़सान का हिस़ाब रखा।
जो लम़्हे गवाँ दिए उनका हिस़ाब ना रखा।
अपनी खुशगवारी और खुदग़र्ज़ी में मश़गूल रहे दूसरों के दर... Read more
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हम किस तरह चलते रहे, कदमों को भी है खबर नहीं।
किसके लिए है तड़प मेरी, मुझे कोई आता नज़र नहीं।
गुमनामियों में गुज़र ... Read more
ग़ज़ल
सुनहरा सवेरा बुलाता हमें है।
कि उजली किरण से मिलाता हमें है।
सुनाकर हमें धुन सदा प्यार की ही
वो जीने का लहज़ा सिखाता ... Read more
मुझे ऐसा गुमां क्यों हो रहा है
कहीं ईमान दिल का खो रहा है।
चलो सहरा को हम कर दें खियाबां
कि सूखा बाग भी अब रो रहा है।
किया ... Read more
ग़ज़ल ***
क़फ़स में बंद पंछी को उड़ाना भी ज़रूरी है।
कि घुटती ज़िन्दगी में सांस आना भी ज़रूरी है।
करो तुम बागबां बनकर के रख... Read more
ग़ज़ल
लुटा दी लाख अत्फ़ें रब ने दुनिया को सजाने में
बड़ी ही नेमतें बिखरी हैं कुदरत के खज़ाने में।
नहीं आसां यहाँ हर शख्स क... Read more
ख़ुशनुमा सी शाम आख़िर किसलिए
प्यार का पैग़ाम आख़िर किसलिए।
क्यूँ मुखौटे डालते मासूम बन
छुप रहे अस्क़ाम आख़िर किसलिए।
उंगली ... Read more
तुम फैसले का इंतज़ार करते रहना
वो हर रोज़ बलात्कार करता रहेगा,
तुम धर्म की सियासत में उलझे रहना
वो बेटियों की तिज़ारत करता रहेगा।
... Read more
मेरे दिल की अंतरंग तरंग हो तुम,
दूर रहकर भी मेरे संग-संग हो तुम।
भूल जाता हूँ सारी दुनिया तुम्हें पाकर,
मेरे जीवन का अभिन्न अं... Read more
आसमानों से ज़मीनों कोई नहीं मिलाता हैं!
सब तो झूठे हैं तक़दीर कोई नहीं बताता हैं!
मर जाते थे पहले रिश्तों को निभाते निभाते!
बुर... Read more
वो डायरी निकाल के रखना कभी कभी
सूखे गुलाब उसमें से चुनना कभी कभी
छा मन पे जाएंगी वही भीनी सी खुशबुएं
उन चिट्ठियों को खोल के... Read more
ये क्या हो रहा है हैव़ानियत की इंत़ेहा हो गई है।
इंसानिय़त सिस़क रही है।
जिंदगी श़र्मसार होकर ख़ौफ से दुब़क कर रह गई है ।
ना ज... Read more
पनघट पर आज भी करती इंतजार तेरा,
तु ना आऐ कान्हा, ऐसा क्या था गुनाह मेरा,
अपने ही नजरों से क्यों दुर किया,
क्यों तोड़ दिया अपने हि ... Read more
ग़ज़ल
मरे सभी जज़्बात,ज़िंदगी हार गई।
आई कैसी रात ,ज़िंदगी हार गई।।1
घूम रहे हैवान,लिए कामुकता को,
बिगड़े हैं हालात,ज़िंदगी... Read more
मिलने पे नज़रें हमसे चुराया न तुम करो
अपना बना के फिर यूँ पराया न तुम करो
आंखों से अपनी बातें बनाया न तुम करो
यूँ धड़कनों में... Read more
इक शख़्स था, कहता रहा
इस शहर में, तन्हा रहा
वो ज़हर पीकर उम्रभर
हालात से लड़ता रहा
भीतर ही भीतर टूटकर
वो किसलिए जीता रहा
कन... Read more
मौसम बदलता है हाल़ात बदलते हैं। लोगों के अंदाज़ बदलते हैं । लोगों के अल्फ़ाज़ बदलते हैं ।
इस रंग बदलती दुनिया में लोगों के ईम़ान बद... Read more
फिर उनसे आज मेरी मुलाकात हो गयी!
ख्वाबो में सही उन से मेरी बात हो गयी!
न मैंने कुछ कहा था न उसने कुछ कहा!
दोनों हाथ पकड़ चलते रह... Read more
साक़िया एक नज़र जाम से पहले पिला दे!
हमको जाना है कहीं शाम से पहले पिला दे!
क्या पता कल महफ़िल में हम हों कि न हों!
बना कर जाम अ... Read more
मेरी आंखों में देखो तुम अभी एक प्यास बाक़ी है ।
सभी मिल कर रहे यार अब यही एहसास बाक़ी है ।।
मैं महलों में रहूं बेश़क मगर यह जानत... Read more
हम अपने ही शहर में अजनबी से हो गये ।
जाने पहचाने से रिश्ते अब पराये से हो गये ।
अब तो बेखुदी का ये आलम है कि अपने से भी परेजाँ हो ... Read more
यार तू जिगर एक आसमानी बन !
आंधी की ना बात कर तूफानी बन !!
क्यों जला रहा खुद से ही खुद को ,
अगर वो आग है तू तो पानी बन !
... Read more
अपना इख्तियार कहाँ होता है जिंदगी और मौत पर ,
नादां इंसान यूँ ही हक़ जताता है जाने क्यों इन पर ।
एक जगाए नन्ही आँखों को मासूम ... Read more
खुद को ही कश्ती खुद को पतवार बना डाला,
मैंने अपनी मां को ही अपना संसार बना डाला।
दोसी होगा कोई और उसके कत्ल का,
उसने खुद को ही ... Read more
दिल क्यों मेरा शोर करें,
युहीं यह चारों ओर घूरे,
याद क्यों आती तु हर लम्हा,
दिल मेरा युहीं क्यों तड़पा
देख तुझे दर्द मे,
दिल मे... Read more
रात दिन तपी गम में पर थकी नहीं हूँ मैं
आयें मुश्किलें कितनी हारती नहीं हूँ मैं
झूठ का सहारा ले रोज मुझसे लड़ते हो
जानती हूँ स... Read more
चेहरे हैं सब क्यों मुरझाये , अब कौन बताये ?
क्यों फैलें दहशतगर्दी के साये , अब कौन बताये ??
कभी होकर कुर्बान जो देश पे अमर हुए थ... Read more
तेरे नाम से मेरा नाम है , तेरे द़म से है मेरी ज़िंदगी।
मैं जिधर चला तू ही हमसफ़र , है तेरी दुआ़ मेरी रोश़नी ।
तू मेरा हमनफ़स , ... Read more