दोहे
1.
अच्छी कविता कौन है, समझ नहीं खुद आय |
लेखन से फुरसत कहाँ, पढ़ि-पढ़ि ज्ञान अघाय ||
2.
कविता दिल की बात है, लिख जितना लिख पाय... Read more
दोहा -- कानन
मानव हित में हम करें,कानन रक्षा आज।
पर्यावरणीय शुद्वता ,प्यार भरा आगाज।।
पेड़ पौध को काटते , करते बहुत अनर्थ।
उज... Read more
ऐसे कैसे बेटियाँ, .....रखें सुरक्षित लाज !
दिखें घूमते भेड़िये ,गली गली जब आज !
चलो उठा लो बेटियों,...हाथों मे तलवार !
दिखें जह... Read more
करना सबको एक दिन,दुनिया से प्रस्थान ।
डरता है इस सत्य से,...कहाँ मगर इन्सान ।।
आगे पीछे ही सही,.........होगा मगर हिसाब ।
कर्मो ... Read more
मटक मटक के गया भटक
रही न रतिभर चटक,
रचे रचाये खूब संवाग,
कौन सुध जब गया अटक.
.
कहते तेरा तुझको अर्पण
मालूम नहीं विध समर्पण
दे... Read more
जिसको देखो कह रहा,कब बदलेगा देश ।
बदलेंगे वे भी अगर,....बदला स्वंय रमेश ।।
बोलूँ उसको नासमझ,या समझूँ नादान ।
कमी निकाले और मे,ह... Read more
जैसे ही मैंने कहे, सत्य भरे दो बोल !
झपटे झूठे भेड़िये, अपनी बाहें खोल !!
चूहे बनकर जी रहे, हम बिल्ली के संग !
कब बदलेगी सोच ये,... Read more
बने भेड़िये मंत्री
लूट-खून दंगें कहीं,
चोरी भ्रष्टाचार !!
ख़बरें ऐसी ला रहा,
रोज सुबह अखबार !
पीड़ित पीड़ा में रहे,
अपराधी हो ... Read more
बोलें किसको मूर्ख अब, किसे कहें विद्वान !
इस जग में जब एक सा, लगता हर इंसान !!
होने लगे विकास के वहाँ लुप्त तब यंत्र ।
जहाँ सिय... Read more
नारायण उर मे बसें, भटक रहा है जीव।
दुग्ध बिना कैसे मिले, जग को उत्तम घीव।।
कष्ट सहन होता नहीं, रघुवर देखो आज।
दुष... Read more
{1} सिद्धि विनायक
{2} बड़प्पन
{3} अव्वल [ आगे ]
{4} हमारी माँ
{5} पिता
{6} भाई
{7} बहन दीदी
{8} भाई की कलाई
{9} ग... Read more
गुरु ज्ञान का पुंज है जग में, गुरु ज्ञान की मणि बने।
गुरु का सेवक बन जो सीखे, वो वह किस्मत का धनी बने।। Read more
सही जगह पर है हुआ,
सही वक्त पे काम !
देखेंगें शैतान अब,
खुद का ये अंजाम !!
लाज कृष्ण ने तब रखी,
जुटी पुलिस इस बार !
लु... Read more
(1)
नहीं सुरक्षित बेटियां, होती रोज शिकार!
घर-गलियां बाज़ार हो, या संसद का द्वार !!
(2)
सजा कड़ी यूं दीजिये, काँप उठे शैतान !
न्... Read more
छाता , दिमाग जब खुले तभी हो सब काम
बंद हुए तो बोझ लागे , कह गए तुलसी राम
केहत केेहत वो रह गए हुआ ना कुछ काम
अन्तिम घड़ी आई तब केह... Read more
दिए अवार्ड जा रहे लेते सीना तान।
क्या अशोक पाकर इसे बने सब कवि महान।।
अशोक छाबडा Read more
देख शीश शशि तात के,बोले बाल गणेश ।
यही खिलौना चाहिए, .हासत देख रमेश ।।
खिसक गई पैरों तले ,......उनके तुरत जमीन !
उनसे ही धोखा ... Read more
लुटती हर पल द्रौपदी,
जगह-जगह पर आज !
दुश्शासन नित बढ़ रहे,
दिखे नहीं ब्रजराज !!
✍ प्रियंका सौरभ Read more
दोहा -- किसान
जो किसान उगाते है,फसल अनेक प्रकार।
भूखमरी वहीं बढ़ते,होते बहुत शिकार।।
कहाँ हो खेती पाती, किसान जहाँ रोये।
कभी... Read more
रामायण से हो गए,
घर-घर तुलसीदास !
लिखकर सच्चे भाव ही,
बनते लेखक खास !!
✍ सत्यवान सौरभ Read more
हैवानों के हाथ !!
सिसक रही हैं बेटियां,
ले परदे की ओट !
गलती करे समाज है,
मढ़ते उस पर खोट !!
खेले कैसे तितलियाँ,
अब बगिय... Read more
हैवानों के हाथ !!
सिसक रही हैं बेटियां,
ले परदे की ओट !
गलती करे समाज है,
मढ़ते उस पर खोट !!
खेले कैसे तितलियाँ,
अब बगिय... Read more
डाक्टर प्रियंका रेड्डी ने कल रात अपने घर फोन करके बताया कि उनकी स्कूटी शमसाबाद, हैदराबाद में पंक्चर हो गई है... यह क्षेत्र अल्पसंख्य... Read more
डाक्टर प्रियंका रेड्डी ने कल रात अपने घर फोन करके बताया कि उनकी स्कूटी शमसाबाद, हैदराबाद में पंक्चर हो गई है... यह क्षेत्र अल्पसंख्य... Read more
'दामण नीचे पहरी जूती, बणगी देखो चीज कसूती। गज़बन..."
यह वाहियात हरयाणवी गाना आजकल खूब बज रहा है और लोग नाच रहे हैं।
नाचिए खूब नाचिए... Read more
दामण नीचे पहरी जूती, बणगी देखो चीज कसूती। गज़बन..."
यह वाहियात हरयाणवी गाना आजकल खूब बज रहा है और लोग नाच रहे हैं।
नाचिए खूब नाचिए ... Read more
महक उठे कैसे भला,
बेला आधी रात !
मसल रहे हैवान जो,
पल-पल उसका गात !!
✍ सत्यवान सौरभ Read more
महक उठे कैसे भला,
बेला आधी रात !
मसल रहे हैवान जो,
पल-पल उसका गात !! Read more
सूख गया अनुराग !
भाई-भाई में हुई, जब से है तकरार !
मजे पड़ोसी ले रहें, काँधे बैठे यार !!
लुप्त हुई संवेदना, सूख गया अनुराग !
... Read more
मंदिर-मस्जिद बांटते,
नफरत के पैगाम !
खड़े कोर्ट में बेवज़ह,
अल्ला और' श्री राम !!
हमने भी कब बेवजह,
खींचा उससे हाथ !
मन ... Read more
हरियाली को खा रहे,पत्थर होते गाँव !
बूढा बरगद है कहाँ,गायब पीपल छाँव !!
-------------------------------------
पशु-पक्षी सब ढूं... Read more
यार पुराने दिलदार नहीं मिलते हैं बार बार
चाहे कर लो तुम यारों प्रयत्न लाख हजार
अनमोल हीरे हैं वो जीवन रुपी खजाने के
मनके हैं खुद... Read more
लड़े भला हम रोज ही,
हज़ार करे विवाद !
मन से मन का हो नहीं,
बंद कभी संवाद !!
दर्द बताते पेट में,
सिर होता हलकान !
बोलो कैसे... Read more
मुझको तोहफे मे मिली, यही उन्ही से चीज!
गम भी उनका इसीलिए,लगता मुझे अजी़ज!
होते नही समक्ष पर,रखें परस्पर ध्यान! !
अच्छे लगते ... Read more
सज्जन को करता नही,कोई प्रथम प्रणाम!
रहे अगर यदि शाथ मे,.उसके दुष्ट तमाम!!
लेते रहते हैं स्वयं, त्रुटियों पर संज्ञान !
मिलते ह... Read more
मैं प्यासा राही रहा , तुम हो बहती धार!
भर-भर अंजुली बाँट दो, मुझको साथी प्यार !!
तुमने जब यूं प्यार से, देखा मेरे मीत !
थिरकन प... Read more
स्याही-कलम-दवात से, सजने थे जो हाथ !
कूड़ा-करकट बीनते, नाप रहें फुटपाथ !!
बैठे-बैठे जब कभी, आता बचपन याद !
मन चंचल करने लगे, परि... Read more
भुला दिए सब वायदे,
बिखर गए सब मेल !
औरों की छत जा चढ़ी,
छोड़ पेड़ को बेल !!
झेलेगी कब तक भला,
नाव भँवर मँझदार !
नौसिखिया मल... Read more
मेरे मन की वेदना,
विपुल रत्न अनमोल !
पाकर इसको मैं सका,
शब्द सीपियाँ खोल !!
बदले आज मुहावरे,
बदल गए सब खेल !
सांप-नेवले ... Read more
सिसक रही है चिट्ठियां,
छुप-छुपकर साहेब !
जब से चैटिंग ने भरा,
मन में झूठ फ़रेब !!
भँवर सभी जो भूलकर,
ले ताकत पहचान !
प... Read more
नई पौध ने कर दिया,
खाली-खाली बाग़ !
टहनी में दिखता नहीं,
टहनी से अनुराग !!
लहरों को बहका रहे,
रोज नए तूफ़ान !
खड़े किनार... Read more
सौरभ डीसी रेट से,
रिश्तों के अनुबंध !
मतलब पूरा जो हुआ,
टूट गए सम्बन्ध !!!
सुन मेरी दो पंक्तियाँ,
हो जाते सब दूर !
दर्पण... Read more
धूप नहीं, छाया नहीं,
सूखे जल भंडार !
साँसे गिरवी हो गई,
हवा बिके बाजार !!
पतियों से मत पूछिए,
सौरभ दिल का हाल !
सास-बहू ... Read more
सबको अपनी ही पड़ी,
आम कहे या खास !
लाठी मिलकर साँप से,
रचा रही है रास !!
सरहद पर जांबाज़ जब,
जागे सारी रात !
सो पाते हम चै... Read more
आधा भूखा है मरे,
आध चखे पकवान !
एक देश में देखिये,
दो-दो हिन्दुस्तान !!
नेताजी को शह मिले,
जनता खाये मात !
राजनीति में है ... Read more
जब से पैसा हो गया,
संबंधों की माप !
मन दर्जी करने लगा,
बस खाली आलाप !!
अपराधी सब छूटते,
तोड़े सभी विधान !
निर्दोषी है जेल... Read more
पाई-पाई जोड़ता, पिता यहाँ दिन रात !
देता हैं औलाद को, खुशियों की सौगात !!
माँ बच्चो की पीर को, समझे अपनी पीर !
सिर्फ इसी के पास ... Read more
रोता कहीं कबीर !!
कविता आनंददायिनी, लेती मन को जीत !
मानो कोयल गा रही, कोई मीठा गीत !!
कविता कंगन बोल है, पायल की झंकार !
सच... Read more
कैसी ये सरकार है,
कैसे हैं कानून !
करता नित ही झूठ है,
सच्चाई का खून !!
✍ प्रियंका सौरभ Read more
बचपन के वो गीत !
स्याही-कलम-दवात से, सजने थे जो हाथ !
कूड़ा-करकट बीनते, नाप रहें फुटपाथ !!
बैठे-बैठे जब कभी, आता बचपन याद !
म... Read more