Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2017 · 3 min read

‘बेटियाँ’ काव्य संग्रह (2017) प्रकाशन हेतु निर्देश

‘बेटियाँ’ प्रतियोगिता के सभी प्रतिभागियों के लिए ‘बेटियाँ’ काव्य संग्रह से सम्बंधित विशेष सूचना| यह सूचना सिर्फ उन रचनाकारों के लिए हैं जिन्होंने जनवरी 2017 में साहित्यपीडिया द्वारा ‘बेटियाँ’ विषय पर आयोजित काव्य प्रतियोगिता में भाग लिया था|

वे सभी रचनाकार प्रतियोगिता में सम्मलित अपनी रचना इस संग्रह में शामिल करने के लिए कृपया यह सूचना अंत तक सावधानी से पढ़ें| अगर आपकी रचना इन निर्देशों के अनुसार नहीं हुई तो उसे ‘बेटियाँ’ संग्रह में शामिल नहीं किया जायेगा|


जनवरी 2017 में हमने ‘बेटियाँ’ विषय पर एक काव्य प्रतियोगिता का आयोजन किया था| इस प्रतियोगिता में विश्व भर से साहित्यकारों ने हिस्सा लिया और ‘बेटियाँ’ विषय पर अपनी बेहद सुन्दर रचनाएं लिखीं| साहित्यपीडिया काव्य प्रतियोगिता में विश्व भर से 284 रचनाकारों ने अपनी रचनायें सम्मलित कीं जिनपर लगभग 18,000 वोट आये। इसी के साथ इन सभी रचनाओं पर कुल मिलाकर 4,000 से भी ज़्यादा टिप्पणीयां आयीं।

इस प्रतियोगिता के विजेताओं को नगद पुरस्कार दिया गया एवं 200 से ज्यादा वोट पाने वाली वाली हर रचना को प्रतिभागिता एवं प्रशंसा पत्र दिया गया था।

यह था प्रतियोगिता का प्रथम भाग जिसमे हमने पूर्णत: लोकप्रियता के आधार पर विजेताओं का चयन किया। अब आते हैं प्रतियोगिता के द्वितीय भाग पर जिसमें हमने कहा था कि इन सभी 284 रचनाओं की गुणवत्ता देखी जायेगी और सबसे अच्छी रचनाओं को “बेटियाँ” विषय पर साहित्यपीडिया काव्य संग्रह के रूप में प्रकाशित किया जायेगा जो विश्व भर में उपलब्ध कराया जायेगा। काव्य संग्रह में शामिल करने के लिए हर रचना की गुणवत्ता देखी जाएगी चाहे उस पर कितने ही वोट हों| इस काव्य संग्रह को प्रकाशित करने के लिए किसी रचनाकार से कोई सहयोग राशि नहीं ली जाएगी|

तो समय आ गया है जब हम साहित्यपीडिया का ‘बेटियाँ’ विषय पर काव्य संग्रह प्रकाशित करने जा रहे हैं| और इसके लिए हमने फैसला किया है कि ‘बेटियाँ’ प्रतियोगिता मैं भाग लेने वाली सभी 284 रचनाओं को इस संग्रह में शामिल किया जाएगा| लेकिन उसके लिए आपको नीचे दिए गए निर्देशों के अनुसार अपनी रचना हमें भेजनी होगी |

सबसे पहले इस लिंक पर जाकर ‘बेटियाँ’ प्रतियोगिता में शामिल अपनी रचना ढूंढें और कॉपी कर लें- https://hindi.sahityapedia.com/competition/betiyaan_comp_01

संग्रह में प्रकाशित होने के लिए आपकी रचना 24 लाइन से ज्यादा की नहीं होनी चाहिए| अगर आपकी रचना इससे ज्यादा लाइन की है तो उसको 24 लाइनों में व्यवस्थित करें| अगर आपकी रचना पहले से ही इससे कम लाइन की है तो कृपया उसमे कोई बदलाव न करें|

अब एक ईमेल लिखें जिसमे हिंदी में अपना नाम लिखें, अपनी यह रचना लिखें (24 लाइन या उससे कम) और नीचे लिखा नोटिस कॉपी-पेस्ट करें-

यह मेरी स्वरचित एवं मौलिक रचना है जिसको प्रकाशित करने का कॉपीराइट मेरे पास है और मैं साहित्यपीडिया को अपने बेटियाँ संग्रह में इसे प्रकाशित करने का अधिकार प्रदान करता/करती हूँ|

साहित्यपीडिया के बेटियाँ काव्य संग्रह में अपनी इस रचना के प्रकाशन के लिए मैं साहित्यपीडिया से किसी भी तरह के मानदेय का/की अधिकारी नहीं हूँ  और न ही मैं इस प्रकार का कोई दावा करूँगा/करुँगी|

अगर मेरे द्वारा दी गयी कोई भी सूचना ग़लत निकलती है या मेरी रचना किसी के कॉपीराइट का उल्लंघन करती है तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ मेरी है; साहित्यपीडिया का इसमें कोई दायित्व नहीं होगा|

मैं समझता/समझती हूँ कि अगर मेरी रचना साहित्यपीडिया के नियमों के अनुसार नहीं हुई तो उसे बेटियाँ काव्य संग्रह में शामिल नहीं किया जायेगा; रचना के प्रकाशन को लेकर साहित्यपीडिया टीम का निर्णय ही अंतिम होगा और मुझे वह निर्णय स्वीकार होगा|

ईमेल का सब्जेक्ट लिखें- “बेटियाँ काव्य संग्रह हेतु रचना

अब ईमेल को हमारे ईमेल आईडी (em><strong>publish@sahityapedia.com</strong) पर भेज दें| कृपया ईमेल में कोई फाइल अटैच न करें|

यह ईमेल हमें अपनी उसी ईमेल आईडी से भेजें जो आपने अपने साहित्यपीडिया अकाउंट में दी है क्यूंकि हर रचना आपके अकाउंट से मिलाई जाएगी जिससे हम चेक कर सकें कि यह रचना बेटियाँ काव्य संग्रह में प्रकाशित की गयी थी|

संग्रह में रचना के साथ आपका फोटो भी प्रकाशित किया जायेगा जो आपके साहित्यपीडिया अकाउंट से लिया जायेगा इसलिए अपना एक अच्छा फोटो अपने साहित्यपीडिया अकाउंट में लगा लें| कृपया अपना फोटो हमें ईमेल से न भेजें| संग्रह में रचनाकारों के फोटो नहीं लगाये जायेंगे|

रचना भेजने की अंतिम तिथि है 16 सितम्बर, 2017|

याद रखें अगर आपकी रचना एवं ईमेल ऊपर दिए गए निर्देशों के अनुसार नहीं हुए तो आपकी रचना बेटियाँ संग्रह में शामिल नहीं की जाएगी| इसलिए कृपया बेहद ध्यान से ऊपर के निर्देश पढ़ें और फिर अपनी रचना भेजें|

आगे की जानकारी आपको ईमेल के द्वारा दी जाएगी इसलिए साहित्यपीडिया अकाउंट में जो ईमेल आईडी आपने दी है उसके ईमेल समय-समय पर चेक करते रहें|

Category: Blog
Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 3603 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
न‌ वो बेवफ़ा, न हम बेवफ़ा-
न‌ वो बेवफ़ा, न हम बेवफ़ा-
Shreedhar
■ कौटिश नमन् : गुरु चरण में...!
■ कौटिश नमन् : गुरु चरण में...!
*Author प्रणय प्रभात*
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
मेरी माँ......
मेरी माँ......
Awadhesh Kumar Singh
चंद अशआर -ग़ज़ल
चंद अशआर -ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
हर बार मेरी ही किस्मत क्यो धोखा दे जाती हैं,
हर बार मेरी ही किस्मत क्यो धोखा दे जाती हैं,
Vishal babu (vishu)
मन मूरख बहुत सतावै
मन मूरख बहुत सतावै
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
माँ ( कुंडलिया )*
माँ ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
आसमान को उड़ने चले,
आसमान को उड़ने चले,
Buddha Prakash
पिछले पन्ने 7
पिछले पन्ने 7
Paras Nath Jha
पार्वती
पार्वती
लक्ष्मी सिंह
वेदनामृत
वेदनामृत
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना
Dr fauzia Naseem shad
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
Shubham Pandey (S P)
डॉक्टर
डॉक्टर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हर मंदिर में दीप जलेगा
हर मंदिर में दीप जलेगा
Ansh
राम तुम्हारे नहीं हैं
राम तुम्हारे नहीं हैं
Harinarayan Tanha
*कृष्ण की दीवानी*
*कृष्ण की दीवानी*
Shashi kala vyas
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
"मन मेँ थोड़ा, गाँव लिए चल"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कैसे कह दें?
कैसे कह दें?
Dr. Kishan tandon kranti
पिया घर बरखा
पिया घर बरखा
Kanchan Khanna
वतन के तराने
वतन के तराने
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
अपनों के बीच रहकर
अपनों के बीच रहकर
पूर्वार्थ
पितृ स्तुति
पितृ स्तुति
दुष्यन्त 'बाबा'
इश्क का भी आज़ार होता है।
इश्क का भी आज़ार होता है।
सत्य कुमार प्रेमी
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
कवि दीपक बवेजा
*अहम ब्रह्मास्मि*
*अहम ब्रह्मास्मि*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...