कैसा स्वतंत्रता दिवस ? (कविता)
देश मना तो रहा है स्वतंत्रता दिवस ,
मैं पूछना चाहती हूँ कैसा स्वतंत्रता दिवस ?
तुझे जुल्मी गोरे (ब्रिटिश साम्राज्य ) के ज़ुल्मों से तो मुक्ति
मिल गयी .मगर !
क्या तुझे आतंकवाद ,अलगाववाद ,धार्मिक कट्टरता
से स्वतंत्रता मिल गयी है ?
क्या आरक्षण के कंधे पर बन्दुक रखकर ,
जातिवाद ने हिंसा फैलाना बंद कर दिया है?
क्या भ्रष्टाचार ,काला बाजारी, महंगाई ने
तेरा दामन हमेशा के लिए छोड़ दिया है?
क्या भाई-भतीजावाद ,रिश्वतखोरी, भाषावाद,
क्षेत्रवाद से तू मुक्त हो गया है?
क्या तेरे धरती पुत्रों /अन्न दाताओं को क़र्ज़ से
मुक्ति मिल गयी है?
क्या तेरी माताओं ,बहनों ,बेटिओं और बच्चियों को ,
हवस के भूखे दरिंदों से मुक्ति मिल गयी है ?
जब नहीं है सुखी कोई तेरे साये तले ,
फिर स्वतंत्रता दिवस मनाने का ओचित्य क्या
रह जाता है ?
जब होंगे तेरी गोद में हर नर-नारी और बच्चे पूर्णत : सुखी ,
जब मिलेगी सभी को पर्यावरण -प्रदुषण से मुक्ति ,
जब प्रकृति भी हर घडी झूमेगी ,हर्षो-उल्लास मनाएगी .
तभी होगा सार्थक ,सुनो मेरे देश !
तेरा स्वतंत्रता दिवस मनाना .