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12 Sep 2017 · 1 min read

२१२२–११२२–११२२–२२
आयें कैसे

जाने वाले भी भला लौटके आयें कैसे
कशमकश ये है कि हम उनको भुलायें कैसे

आज हम रूठ गये उनसे तो मुश्किल होगी
वो भी रूठें हैं अभी हमसे मनायें कैसे

जाने कब बंट गये हम खुद ही पशेमां से हैं
सोचते हैं इन लकीरो को मिटायें कैसे

मेरी मिट्टी में है जां मेरी सुकूं दिल का है
तेरे कर्जे का लहू मेरा लुटायें कैसे

मैं दिलो जान से हाजिर हूं वतन की खातिर
मेरे पंखो में है परवाज़ बतायें कैसे

क्यूं नहीं रहते सभी मुल्क अपने हिस्से में
छोड़ना तेरा मेरा हैं ये सुझायें कैसे

राज जीवन का नहीं कुछ बस मुहब्बत यारो
प्यार ने जीती कई जंग बतायें कैसे

3 Likes · 490 Views
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