21 रागनी किस्सा गोपीचंद भरतरी (घरा चाली जा अपणे) मनजीत पहासौरिया
अब गोपीचंद अपनी माता को समझाता मनै जोग धारणा कर लिया है। और बार बार कहने पर भी गोपीचंद घर जानेने से साफ मना कर देता और कहता है,,,
आख्या के पाणी नै थाम, ना सुवाता साधू नै,
घरा चाली जा अपणे, के बतावै नाता साधू नै..!!टेक!!
माता तू पड़कै सोगी थी भूल मै,
पर तेरा झुलाया झूलू सूं झुल मै,
आज के पाछै थारे कुल मै, देखिए गाता साधु नै..!!१!!
गृहस्थी आळा नाता टुट लिया,
सत् गुण का मनै प्याला घुट लिया,
मतलब पिण्ड फूट लिया, ना बोचणा आता साधु नै..!!२!!
ये महल हवेली बणी रहो तमनै,
हरि भजन करकै भुलगा गमनै,
वचन भरा था हमनै, ना भुला
जाता साधु नै..!!३!!
गुरु कपीन्द्र का ले लिया शरणा,
मांगकै बता दिया इब पेट भरणा,
कहै मनजीत धन का के करणा, समझादे माता साधू नै..!!४!!
रचनाकार:- मनजीत पहासौरिया
फोन नं० :- 9467354911