20 रागनी किस्सा गोपीचंद भरतरी( मै कहरी तू घरा चाल), मनजीत पहासौरिया
अब गोपीचंद की मां गोपीचंद से बार बार महल मे आने को कहती है। गोपीचंद घर चलने से इंकार कर देता है और दोनों के किस प्रकार से सवाल जवाब होते है,,
जोग ले लिया परण निभादे कहै लाल जेटा,
मै कहरी तू घरा चाल, ना तै मरज्यागी बेटा..!!टेक!!
मैनावंती:-
बारा कन्या घरा रोवती, देखी जाती कोन्या,
किस तरिया डाटू दिल नै, ओढ बड़ी छाती कोन्या,
सोला राणी रोटी खाती कोन्या, कहै मनै कुल की मेटा..!!१!!
गोपीचंद:-
मेरे भाग मै था राज, राजा का धर्म निभाया,
इब ओढ़ लिया भगमा बाणा माता का कहण पुगाया,
भजन करूगा ना हटू हटाया, मेरा भजन तै भरगा पेटा..!!२!!
मैनावंती:-
जाण नही थी गोपीचंद, होगी भूल भारी मेरे तै,
खत्ता करिये माफ, चाल लाल दूर इस डेरे तै,
मै कहरी सू तेरे तै, तोड़ इस बंथन का लपेटा..!!३!!
गोपीचंद:-
हृदय कांपा था मेरा , मुश्किल तै दिल डाटा था,
ज्ञान होया समझ आई फंद गुरु कपीन्द्र के काटा था,
मनजीत पहासौरिया नाटा था, इब शरण सतगुरु की आ लेटा..!!४!!
रचनाकार:- पं मनजीत पहासौरिया
फोन नं०:- 9467354911