Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Apr 2021 · 1 min read

?गज़ल?

#बह्र-2122/1212/22

आँख हटती नहीं हटाने से
हो हसीं तुम सनम ज़माने से/1

साँस सरगम ये बोल कोयल से
बज़्म सजती शरीक आने से//2

चाँदनी नूर चेहरे पर है
लूट ले दिल नज़र मिलाने से//3

है सियासत अज़ब अनोखी सी
ये नवाज़े बधिर तराने से//4

ख़ुद चलेंगे सही दिशाओं में
तेज़ होगी मुहिम बताने से//5

आदमी आदमी लड़े पागल
ज़िंदगी मौज़ दिल हँँसाने से//6

प्यार ‘प्रीतम’ नशीब से मिलता
शान दिल की इसे निभाने से//7

??आर.एस.’प्रीतम’??
?सर्वाधिकार सुरक्षित गज़ल?

1 Like · 215 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
आपकी वजह से किसी को दर्द ना हो
आपकी वजह से किसी को दर्द ना हो
Aarti sirsat
शराब का सहारा कर लेंगे
शराब का सहारा कर लेंगे
शेखर सिंह
■चन्दाखोरी कांड■
■चन्दाखोरी कांड■
*Author प्रणय प्रभात*
ये कैसी शायरी आँखों से आपने कर दी।
ये कैसी शायरी आँखों से आपने कर दी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जिंदगी माना कि तू बड़ी खूबसूरत है ,
जिंदगी माना कि तू बड़ी खूबसूरत है ,
Manju sagar
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
पूर्वार्थ
जंगल की होली
जंगल की होली
Dr Archana Gupta
उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
sushil sarna
हम छि मिथिला के बासी
हम छि मिथिला के बासी
Ram Babu Mandal
बाट का बटोही ?
बाट का बटोही ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सूर्ययान आदित्य एल 1
सूर्ययान आदित्य एल 1
Mukesh Kumar Sonkar
सत्य शुरू से अंत तक
सत्य शुरू से अंत तक
विजय कुमार अग्रवाल
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
स्वस्थ तन
स्वस्थ तन
Sandeep Pande
💐प्रेम कौतुक-349💐
💐प्रेम कौतुक-349💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
सिर्फ व्यवहारिक तौर पर निभाये गए
सिर्फ व्यवहारिक तौर पर निभाये गए
Ragini Kumari
आगे बढ़कर जीतता, धावक को दे मात (कुंडलिया)
आगे बढ़कर जीतता, धावक को दे मात (कुंडलिया)
Ravi Prakash
दीप की अभिलाषा।
दीप की अभिलाषा।
Kuldeep mishra (KD)
खरगोश
खरगोश
SHAMA PARVEEN
बढ़ रही नारी निरंतर
बढ़ रही नारी निरंतर
surenderpal vaidya
गलतियाँ हो गयीं होंगी
गलतियाँ हो गयीं होंगी
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🍀🌺🍀🌺🍀
🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🍀🌺🍀🌺🍀
subhash Rahat Barelvi
*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
Dushyant Kumar
*Dr Arun Kumar shastri*
*Dr Arun Kumar shastri*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
फिरकापरस्ती
फिरकापरस्ती
Shekhar Chandra Mitra
23/15.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/15.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
मैं तेरे अहसानों से ऊबर भी  जाऊ
मैं तेरे अहसानों से ऊबर भी जाऊ
Swami Ganganiya
तुम जब भी जमीन पर बैठो तो लोग उसे तुम्हारी औक़ात नहीं बल्कि
तुम जब भी जमीन पर बैठो तो लोग उसे तुम्हारी औक़ात नहीं बल्कि
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
Loading...