?एक माँ का दर्द बयां करती मेरी रचना?
एक माँ का दर्द बयां करती मेरी रचना
◆सुबह जाग कर माँ ने बच्चो को चुंबन लगाया होगा,
बिस्तर पर अपने बच्चों को थोड़ा गुदगुदाया होगा।
◆पापा ने भी थोड़ा प्यार से सिर पर हाथ फेरा होगा,
मेरा राजा बाबू जल्दी जाग जा कहा होगा।
◆माँ ने स्कूल के जब रेडी किया होगा,,
नहला धुलाकर बेटे को यूनिफार्म पहनाया होगा।
◆माँ ने टिफिन बेग में रखते हुए कहा होगा,,
पूरा फिनिश करना बाबू पास जाकर उसके बोला होगा।
◆हँसते मुस्कुराते अपने बच्चों को स्कूल के लिए विदा किया होगा,
फिर दिन भर उसके लौट आने का माँ ने इन्तेजार किया होगा।
◆सुन खबर एक्ससीडेंट की माँ का दम बहार निकल आया होगा,
जमी पर रखा पाँव भी डगमगाया होगा।
◆सारे काम छोड़कर माँ- बाप ने कदम घटनास्थल की ओर दौड़ाया होगा,,,
मन ही मन खुदा से अपने लाल की रक्षा की गुहार लगाया होगा।
◆माँ की बिलखती आवाज ने हर किसी को मददत को पुकारा होगा,
रो रोकर अपना हाल बुरा माँ ने किया होगा,
◆सोनु रो रोकर सोच में लिख रही कैसे विधाता ने खिंचा ये मनुस लकीर होगा,
एक साथ इतने बच्चों को काल के मुँह में कैसे बुलाया होगा।
◆ख़ुदा ने एक पल भी क्यूँ नही सोचा होगा,,
माँ -बाप का कैसे जीवन का सहारा बहरेमी से छीना होगा।
गायत्री सोनु जैन मन्दसौर?????