?●पनघट पर बलमा ने पकड़ी मारी कलाइयां●?
पनघट पर बलमा ने पकड़ी मारी कलाइयां
◆ पनघट पर गौरी की बलमा ने पकड़ी कलाइयां,,
बोली गौरी छोड़ो जी बलमा कलाइयां वरना करूँगी लड़ाइयां।
◆प्रेम भरी निग़ाहों से देख गौरी करें बतिया,,
जल्दी बनाओ न सैंया जी हमको अपनी दुलनियां
◆ पनघट पर पहुँच साखियाँ करे हँसी ठिठोलियाँ।
एक दूसरी की गागर से पानी संग करे ढेरों मस्तियां।
◆ सखी की राह देख रही सखी सहेलियां,,
सांझ ढलने आयी चल बोल रही सहेलियां।
◆ खेतो खलियानों की शहर सपाट को जाती इनकी टोलिया,,
गाँव के छोरो का मन मोह जाती इनकी हँसी ठिठोलियां।
गायत्री सोनू जैन मंदसौर