?” *सब जानता हूं*?
?” सब जानता हूं?
गरीब का बच्चा हूँ,,,,
” लाचारी और बेबसी का दर्द जानता हूँ,,,
आसमाँ से ज्यादा ज़मीं को पहचानता हूँ।
बेबस था जो झेल गया सारा दर्द गम
मैं मग़रूर दरख़्तों का हश्र जानता हूँ।
पढ़ लिखकर बड़ा बनना आसाँ नहीं होता,
जिन्दगी में कितना ज़रुरी है शिक्षा जानता हूँ।
पढ़ाई की तो किस्मत भी खुल चली,
छालों में छुपी लकीरों का असर जानता हूँ।
सबकुछ हो गया पर अपना कुछ घमण्ड नही माना,
क्योंकि आख़िरी ठिकाना मेरा कफ़न है जानता हूँ।
✍” सोनु जैन मंदसौर✍