?ग़ज़ल,,?
* इशारा*
?दर्द देकर मुझे,वो मुस्कुराते रहे,
हम दुआ में खुदा से,उन्हें मांगते ही रहे।
?फूलो सी मुस्कान उनसे आती रहे,
हम दिले बाग में फूल खिलाते रहे ।
?आँखों मे उनके न आ जायें अश्क़,
हम सोचकर दर्द में भी मुस्कुराते रहे।
?गमो की हवाएं न छू जाएं उनको,
खुशबू वफ़ा की फ़िज़ा में हम बिखराते रहे।
?दूर ही दूर वो हमसे जाते रहे,
मोहब्बत है हमको उनसे कहते रहे।
?ख्वाबों को मेरे वो चूर करते रहे,
सारी रैना याद में उनकी गुज़ारते रहे।
?हँस हँसकर,गैरो से वो मिलते रहे।
हम तन्हा दिल को जलाते रहे।
?इशारों में उनको हम बुलाते रहे,,
वो नदान कुछ न समझते रहे।
गायत्री सोनू जैन मन्दसौर