??खफ़ा होने वाले??
जान से बढ़कर तुझे चाहूँ मैं,
सुन,अरे!खफ़ा होने वाले।
एकपल न भूल तुझे पाऊँ मैं,
सुन,अरे!खफ़ा होने वाले।।
मन-मंदिर मे तू ही बसी है,
मेरे लिए मेनका,उर्वशी है।
आँखों में ख़्वाब तेरे बसाऊँ मैं,
सुन,अरे!खफ़ा होने वाले।।
अपना रिश्ता स्वर्ग से हसीं है,
फूल-ख़ुशबू ज्यों बेहतरीन है।
तेरे दीदार बिन चैन न पाऊँ मैं,
सुन,अरे!खफ़ा होने वाले।।
तू जो हँसकर देखे जिसपल भी,
फूला न समाऊँ हो सजल भी।
रग-रग में स्फूर्ति ये दोहराऊँ मैं,
सुन,अरे!ख़फा होने वाले।।
हर खुशी बदले तेरा ग़म ले लूँ,
तू रहे मुस्क़राती मायूसी झेलूँ।
बस तेरा सानिध्य एक चाहूँ मैं,
सुन,अरे!खफ़ा होने वाले।।
विवेक समझ हरपल मिले तुझसे,
जीवन सफल हो भूतल तुझसे।
तेरे हृदय में बू बन बस जाऊँ मैं,
सुन,अरे!खफ़ा होने वाले।।
तू कूपजल मैं प्यासा पथिक हूँ,
तू वृक्षछाया मैं थका अधिक हूँ।
तेरे ही गीत लबों पर सजाऊँ मैं,
सुन,अरे!खफ़ा होने वाले।।
चाँद से चाँदनी रूठे न कभी भी,
राग से रागनी छूटे न कभी भी।
आ सुरताल संगीत के सजाऊँ मैं,
सुन,अरे!खफ़ा होने वाले।।
“प्रीतम”तेरी प्रीत आनंदायक बने,
जीवन का हरपल फलदायक बने।
मेरी रुह में तू तेरी में समाऊँ मैं,
सुन,अरे!खफ़ा होने वाले।।
राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
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