?रखती हूं☣
?रखती हूं☣
तमाम दायरों से भी तुझे बाहर रखती हूं,,,,
तेरी खातिर ही ये झुकने का हुनर रखती हूं,,,,
आज तक टूटी हूं पर कभी झुकी नही,,,,
न जाने क्यो तेरे कदमो में सर रखती हूं,,,,
बेशक भली नही हूं कही भी कभी भी,,
पर तेरा और तेरी बातो का असर रखती हूं,,,,
कोई खाव पूरा न हो कोई गम नही,,,,
पर तेरे सपनो को सच करू वो कदर रखती हूं,,,,
सोनु भी चंद लकीरों के सिवा कुछ न,,
बस तेरी लकीरों पे अपनी ही सबर रखती हूं,,,,,
दिल से,,,,,
सोनु जैन मंदसौर✍