Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2018 · 5 min read

पांच बोतल

पांच बोतल ?????
“Belated Teachers Day”
राजस्थान के रेगिस्तान में पांच बोतलें बैठकर आपस में गपशप कर रहे थे उनमें से एक अखबार पढ़ रहा था कि अचानक एक खबर पर नज़र गयी की मेघालय के चेरापूंजी में कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है। नदी,तालाब,खेत-खलिहान सब डूब रहे हैं,तो उसने बाकि सारे बोतलों को ये खबर सुनायी तो सभी जोर जोर से ठहाके लगाकर हंसने लगे कि धरती पर कहीँ बारिश भी होता है!ये तो सरासर अफवाह है या किसी संपादक ने मजाक में ये खबर छाप दी है। लेकिन उन सब को तनिक लगा भी की बारिश हो भी सकता है,तो एक ने कहा कि यार हमने तो कभी बारिश देखी नही हैं तो क्योँ ना चेरापूंजी चलकर एकबार देखा जाए कि आखिर बारिश होती क्या है ,सुना भले है लेकिन कभी देखा नही।यहाँ राजस्थान में तो हमेशा लू ही चलते रहता है। तो अन्य चारों ने कहा अरे ये सब बकवास है,मनगढ़ंत कहानी हैं,जाओगे बेवजह पैसे खर्च होंगे,मुझे नही जाना ।फिर उस बोतल ने सबको मनाया कि आखिर चलकर देख ही लिया जाए कि हकीकत है क्या??
कुछ पूरे मन से कुछ अधूरे मन से चेरापूंजी जाने के लिए तैयार हुआ। सबने राजस्थान से चेरापूंजी के लिए ट्रेन पकड़ा। चेरापूंजी के क्षेत्र में पहुंचते ही एक बोतल को वहाँ के मौसम का ठंडा ठंडा एहसास होने लगा लेकिन अन्य चार को कुछ बुझा नही रहा था। सभी बोतल चेरापूंजी सकुशल पहुंच गए। चेरापूंजी में तो लगभग हर रोज बारिश होती ही है तो उस दिन भी झमाझम बारिश हो रही थी।जब पांचों बोतल स्टेशन से बाहर निकला तो एक बोतल बारिश में सराबोर हो गया उसे वहां के बारिश होने का पूरा एहसास हो रहा था और पूरा मजा भी आ रहा था परन्तु शेष चारों को कुछ भी नही बुझा रहा था और कह रहे थे कि यहाँ तो कुछ हो ही नही रहा है ,देखा खबर बिलकुल गलत था ,यहाँ आना हम सब का बेकार हो गया ।लेकिन जिस बोतल को एहसास हो रहा था उसने कहा नही यार यहाँ तो बहुत बारिश हो रही है,देखो मैं बारिश से बिलकुल तृप्त हो गया है,मैं तो धन्य हो गया यहाँ आकर।लेकिन अन्य चारों बोतल ये सब झूठ लग रहा था और उन सब ने वापस आने का निर्णय लिया ।तब फिर उस एक बोतल ने सबको समझाया कि जरूर तुमलोगों में कुछ ना कुछ गडबडी है। तुमलोगों को किसी डाक्टर के पास ले जाना पडेगा। सुना हैं यहाँ एक बहुत प्रसिद्ध डाक्टर हैं चलो उन्ही से दिखाते हैं कि आखिर इन चारों को बारिश का एहसास क्यों नही हो रहा है।
पांचों पहुंच गए डाक्टर के पास और अपनी पूरी कहानी बताया कि हमलोग बहुत दूर राजस्थान से चलकर आये हैं यहाँ ये देखने कि बारिश कैसा होता पर एक के सिवाय चार को बारिश का अनुभव ही नही हो रहा है।
डाक्टर साहब ने सबको बैठाया और एक-एक बोतल की जांच-पड़ताल की तो कहा कि बात तो सही है भाई ।बारिश तो हो रही हैं। किसको को बारिश की अनुभूति हो रही हैं और किसको नही इसके भी कारण का पता चल गया है। जल्दी बताइये डाक्टर साहब मुझे भी बारिश का अनुभव करना है-अन्य चारों ने एक स्वर में कहा।
जिस बोतल को बारिश का एहसास हो रहा था उसको पास बुलाया और सबको समझाया कि देखो इस बोतल को यह बिलकुल स्वच्छ हैं,इसके ढक्कन भी खुले हैं और ये पूरी तरह से खाली हैं और सीधे खड़े हैं इसलिए इसके अंदर बारिश की पानी सीधे जा रही हैं और जिससे बारिश की अनुभूति हो रही हैं और ये बारिश का आनन्द भी ले रहा है।
तब दुसरा बोतल सामने आया और कहा कि मेरे मे क्या दिक्कत है डाक्टर साहब,मैं क्यों नही बारिश का अनुभव कर पा रहा हूँ। तो डाक्टर ने देखा की वो तो उल्टा पड़ा है। उसे पकड़कर जैसे ही सीधा किया तो वो भी बारिश में सराबोर हो गया।
तब तीसरा बोतल सामने आया और कहा -मैं तो सीधे खड़ा हूं पर मुझे तो बारिश का अनुभव नही हो रहा है,कृपया मुझे बताइए मुझमें क्या दिक्कत है और उसको दूर कीजिए ताकी मैं भी बारिश का अनुभव करके तृप्त हो जाऊं।
डाक्टर ने उसको देखा और कहा तुम सीधे तो खड़े हो लेकिन तुम्हरा ढक्कन ही बंद इसलिए तुम्हें बारिश का अनुभव नही हो रहा है। डाक्टर ने जैसे ही उसका ढक्कन खोला वो भी बारिश में सराबोर हो गया और खुद को तृप्त महसूस करने लगा और चिल्लाने लगा कि सचमुच यहा बारिश हो रही है।
अब चौथे को तो रहा नही गया उसने भी डाक्टर से कहा कि मेरा तो ढक्कन खुला है और मैं सीधे भी खड़ा हूँ फिर भी मैं बारिश का अनुभव क्यों नही कर रहा हूँ। तो डाक्टर ने उसे पास बुलाया और देखकर बताया कि तुम सीधे भी खडे हो,ढक्कन भी खुला है फिर भी तुम्हें बारिश का एहसास नही हो रहा है क्योंकि तेरे अंदर तो मोबील भरा है ।डाक्टर साहब ने उसके अंदर से मोबील निकाला तो वो भी बारिश के धार से अभिभूत हो गया ।
अब तो पांचवां बारिश का अनुभव करने के लिए बेताब हो गया और उसने डाक्टर साहब से कहा कि मैं सीधा खड़ा हूँ,ढक्कन भी खुला है,मोबील भी नही भरा है तो मुझे बारिश क्या अनुभव क्यों नही हो रहा है।
डाक्टर ने उसे बड़े गौर से देखा तो पाया कि उसका पेंदी ही नही है। डाक्टर साहब ने उस बोतल में पेंदी लगाया तो वो भी बारिश का अनुभव करके तृप्त हो गया।
ये कहानी तो थी बोतल की परन्तु संसार में ऐसे ही पांच तरह के बोतल जैसे मनुष्य पाये जाते हैं जिसे धर्म-अधर्म आदि का ज्ञान नही होता है। कोई इर्ष्या रुपी मोबील से भरा हुआ है तो किसी को अज्ञानता का ढक्कन बंद है तो कोई बिलकुल आंख-कान बंद करने उल्टे पड़े हैं कोई सबकुछ ज्ञान धर्म संस्कार आदि का पेंदी ही उखाड़कर फेक दिया है। और इन सबको सही करने के लिए गुरु ही होते हैं ।जबतक मनुष्य गुरु के पास नही जाएंगे तबतक उसे ज्ञान का ,अपने जीवन का एहसास होगा ही नही ।
तो आप भी खुद को देखिये कि आप किस श्रेणी के बोतल हैं!!!
Copied & Edited.
स्वामी अनुरागानंद जी,”शिव आज भी गुरु हैं “

Language: Hindi
2 Likes · 354 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
......तु कोन है मेरे लिए....
......तु कोन है मेरे लिए....
Naushaba Suriya
दोहा त्रयी. . . सन्तान
दोहा त्रयी. . . सन्तान
sushil sarna
बेटियाँ
बेटियाँ
लक्ष्मी सिंह
डायरी भर गई
डायरी भर गई
Dr. Meenakshi Sharma
💐अज्ञात के प्रति-122💐
💐अज्ञात के प्रति-122💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
नर नारी
नर नारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पथिक आओ ना
पथिक आओ ना
Rakesh Rastogi
गर्म हवाओं ने सैकड़ों का खून किया है
गर्म हवाओं ने सैकड़ों का खून किया है
Anil Mishra Prahari
फूलों की तरह मुस्कराते रहिए जनाब
फूलों की तरह मुस्कराते रहिए जनाब
shabina. Naaz
■ #यादों_का_आईना
■ #यादों_का_आईना
*Author प्रणय प्रभात*
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
Mahendra Narayan
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
Dr Tabassum Jahan
समझदार बेवकूफ़
समझदार बेवकूफ़
Shyam Sundar Subramanian
"आखिरी निशानी"
Dr. Kishan tandon kranti
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
Kuldeep mishra (KD)
बस कुछ दिन और फिर हैप्पी न्यू ईयर और सेम टू यू का ऐसा तांडव
बस कुछ दिन और फिर हैप्पी न्यू ईयर और सेम टू यू का ऐसा तांडव
Ranjeet kumar patre
कुछ मत कहो
कुछ मत कहो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मेरे हमसफ़र ...
मेरे हमसफ़र ...
हिमांशु Kulshrestha
नसीब में था अकेलापन,
नसीब में था अकेलापन,
Umender kumar
निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए
निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मुल्क
मुल्क
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मैं और मेरी तन्हाई
मैं और मेरी तन्हाई
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
23/126.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/126.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भाग्य पर अपने
भाग्य पर अपने
Dr fauzia Naseem shad
इस मुद्दे पर ना खुलवाओ मुंह मेरा
इस मुद्दे पर ना खुलवाओ मुंह मेरा
कवि दीपक बवेजा
*देना इतना आसान नहीं है*
*देना इतना आसान नहीं है*
Seema Verma
टूटी हुई कलम को
टूटी हुई कलम को
Anil chobisa
*चमचागिरी महान (हास्य-कुंडलिया)*
*चमचागिरी महान (हास्य-कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, ज
सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, ज
पूर्वार्थ
पहले तेरे हाथों पर
पहले तेरे हाथों पर
The_dk_poetry
Loading...