Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Sep 2017 · 1 min read

??गगन वीथिका से उतरी क्या सौम्य परी हो तुम???

गगन वीथिका से उतरी क्या सौम्य परी हो तुम?
या फिर सूर्य किरण का गुच्छ जो गिरा धरा पर,
ओज बिखेरे हर कण पर, मानस मन पर भी,
चित्र उकेरे भिन्न भिन्न, लगे सजीव सुनहरे भी।।1।।
गगन वीथिका……………
या फिर चिड़ियों का दल जो सतरंगी कहलाए,
एक एक रंग अपना उस दल में महत्व बतलाए,
स्वतन्त्रता का असली सन्देश सिखलातें भी,
ध्वनि उपजाते भिन्न भिन्न, जो मन को हर्षाते भी।।2।।
गगन वीथिका……………
या फिर ममतामयी माँ हो, जो पुण्यमयी कहलाती है,
जिसके पावन स्पर्श से सौ बीमारी भी कट जाती हैं,
ईश्वर ने ममता का रूप सँजोया है,माँ की रचना में
शब्द कोश टटोला भी,शब्द न बनते माँ की व्याख्या में, ।।3।।
गगन वीथिका……………

##अभिषेक पाराशर##

Language: Hindi
232 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
// प्रीत में //
// प्रीत में //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
फागुन में.....
फागुन में.....
Awadhesh Kumar Singh
फितरत
फितरत
Kanchan Khanna
रावण
रावण
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बिता जहाँ बचप
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बिता जहाँ बचप
Shubham Pandey (S P)
सत्यम शिवम सुंदरम
सत्यम शिवम सुंदरम
Harminder Kaur
तुम याद आ गये
तुम याद आ गये
Surinder blackpen
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
Rohit yadav
💐प्रेम कौतुक-509💐
💐प्रेम कौतुक-509💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जय लगन कुमार हैप्पी
* इंसान था रास्तों का मंजिल ने मुसाफिर ही बना डाला...!
* इंसान था रास्तों का मंजिल ने मुसाफिर ही बना डाला...!
Vicky Purohit
आँखें उदास हैं - बस समय के पूर्णाअस्त की राह ही देखतीं हैं
आँखें उदास हैं - बस समय के पूर्णाअस्त की राह ही देखतीं हैं
Atul "Krishn"
उनकी यादें
उनकी यादें
Ram Krishan Rastogi
*भरे हों प्यार के सौ रंग, मैत्री की हो पिचकारी (मुक्तक)*
*भरे हों प्यार के सौ रंग, मैत्री की हो पिचकारी (मुक्तक)*
Ravi Prakash
गुरु स्वयं नहि कियो बनि सकैछ ,
गुरु स्वयं नहि कियो बनि सकैछ ,
DrLakshman Jha Parimal
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो पढ़ना जरूर ।
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो पढ़ना जरूर ।
Rajesh vyas
गम और खुशी।
गम और खुशी।
Taj Mohammad
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2616.पूर्णिका
2616.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
ईश्वर की आँखों में
ईश्वर की आँखों में
Dr. Kishan tandon kranti
सम्भल कर चलना जिंदगी के सफर में....
सम्भल कर चलना जिंदगी के सफर में....
shabina. Naaz
सपने..............
सपने..............
पूर्वार्थ
🌹🌹🌹फितरत 🌹🌹🌹
🌹🌹🌹फितरत 🌹🌹🌹
umesh mehra
मेरी कलम
मेरी कलम
Dr.Priya Soni Khare
........
........
शेखर सिंह
New light emerges from the depths of experiences, - Desert Fellow Rakesh Yadav
New light emerges from the depths of experiences, - Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
*
*"गंगा"*
Shashi kala vyas
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
Suryakant Dwivedi
Loading...