Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jun 2018 · 1 min read

卐== समर्पण ==卐

निखरी , खिली- खिली धूप ,
स्वच्छ आकाश में
कलरव करती – चहचहातीं
चिड़ियों का मधुर गीत , संगीत ,
खेतों में खिले दूर – दूर तक
लाल- पीले सुकोमल फूलों की पंखुड़ियाँ ,
मंडराती रंग- बिरंगी तितलियाँ ,
धरती पर बिछी घासों की मखमलियां ,
प्रफुल्लित करती हैं
जीवन भर के कसैले मन को ।
लेकिन !
चलना पड़ता है-
शीशे जैसी चिकनी- चमकती
सड़कों से उतर कर
धूल- धूसरित पगडंडियों ,
ऊबड़- खाबड़ मेड़ों पर ।
और
प्यास बुझाने के लिए
दोनों हाथों को चुल्लू बनाकर
पसारना पड़ता है-
निःस्वार्थ – निर्विकार ‘ गागर ‘ के सामने ।

Language: Hindi
261 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिंदगी की राह आसान नहीं थी....
जिंदगी की राह आसान नहीं थी....
Ashish shukla
जीवन संग्राम के पल
जीवन संग्राम के पल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सभी धर्म महान
सभी धर्म महान
RAKESH RAKESH
“ आलोचना ,समालोचना और विश्लेषण”
“ आलोचना ,समालोचना और विश्लेषण”
DrLakshman Jha Parimal
3081.*पूर्णिका*
3081.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जय बोलो मानवता की🙏
जय बोलो मानवता की🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मोबाइल फोन
मोबाइल फोन
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"मायने"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं उड़ सकती
मैं उड़ सकती
Surya Barman
जय जय हिन्दी
जय जय हिन्दी
gurudeenverma198
राह हमारे विद्यालय की
राह हमारे विद्यालय की
bhandari lokesh
■ सबसे ज़रूरी।
■ सबसे ज़रूरी।
*Author प्रणय प्रभात*
२९०८/२०२३
२९०८/२०२३
कार्तिक नितिन शर्मा
** सावन चला आया **
** सावन चला आया **
surenderpal vaidya
*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Phool gufran
मुहब्बत के शहर में कोई शराब लाया, कोई शबाब लाया,
मुहब्बत के शहर में कोई शराब लाया, कोई शबाब लाया,
डी. के. निवातिया
నేటి ప్రపంచం
నేటి ప్రపంచం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मेवाडी पगड़ी की गाथा
मेवाडी पगड़ी की गाथा
Anil chobisa
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सुबह-सुबह की लालिमा
सुबह-सुबह की लालिमा
Neeraj Agarwal
🌸प्रेम कौतुक-193🌸
🌸प्रेम कौतुक-193🌸
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गरीब
गरीब
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*बाल गीत (पागल हाथी )*
*बाल गीत (पागल हाथी )*
Rituraj shivem verma
कहें किसे क्या आजकल, सब मर्जी के मीत ।
कहें किसे क्या आजकल, सब मर्जी के मीत ।
sushil sarna
या ख़ुदा पाँव में बे-शक मुझे छाले देना
या ख़ुदा पाँव में बे-शक मुझे छाले देना
Anis Shah
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कुछ जवाब शांति से दो
कुछ जवाब शांति से दो
पूर्वार्थ
झुकाव कर के देखो ।
झुकाव कर के देखो ।
Buddha Prakash
हम
हम
Ankit Kumar
Loading...