Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Oct 2020 · 1 min read

~~【【◆◆लम्हें प्यार के◆◆】】~~

लम्हें प्यार के पास आने दो,आज महबूब साथ है ज़रा मोहब्बत जगाने दो.

दो दिल एक चाँद बन रहे,ये आसमान का शोर भी थम जाने दो।

महक प्यार की नसों से गुजर रही,ये फूल इश्क़ का ताजा है इसे मुस्कराने दो।

इन हवाओं से बातचीत है उसकी जुल्फों की,ये गुलाब उसकी जुल्फों के लिए है, लगाने दो।

ना रोको,इश्क़ के परवानों का इश्क़ परवान हो रहा,इन सितारों को आज ज़मीन पर जगमगाने दो।

उतर जाने दो हर अरमान दिल में मुलाक़ात खास है,दिल से दिल को होंठों का हाल बताने दो।

आज रंग लाल होगा इस आसमान का,गालों पर लाली है उनके,दिलों में आग बहुत लगी है,कलम बारूद है अमन की आज आग पर ही चलाने दो।

खुलेआम ही आकर अब बात बनेगी,इश्क़ पाक है शहंशाह कौन है मोहब्बत का,ये हकीक़त ज़माने को दिखाने दो।

Language: Hindi
6 Likes · 1 Comment · 215 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उनका ही बोलबाला है
उनका ही बोलबाला है
मानक लाल मनु
सामाजिक न्याय के प्रश्न पर
सामाजिक न्याय के प्रश्न पर
Shekhar Chandra Mitra
🙏 🌹गुरु चरणों की धूल🌹 🙏
🙏 🌹गुरु चरणों की धूल🌹 🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दिल
दिल
Neeraj Agarwal
चुप रहना भी तो एक हल है।
चुप रहना भी तो एक हल है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
आप प्लस हम माइनस, कैसे हो गठजोड़ ?
आप प्लस हम माइनस, कैसे हो गठजोड़ ?
डॉ.सीमा अग्रवाल
देकर हुनर कलम का,
देकर हुनर कलम का,
Satish Srijan
श्रीराम
श्रीराम
सुरेखा कादियान 'सृजना'
अपनी कलम से.....!
अपनी कलम से.....!
singh kunwar sarvendra vikram
आँखों के आंसू झूठे है, निश्छल हृदय से नहीं झरते है।
आँखों के आंसू झूठे है, निश्छल हृदय से नहीं झरते है।
Buddha Prakash
माँ स्कंदमाता की कृपा,
माँ स्कंदमाता की कृपा,
Neelam Sharma
2261.
2261.
Dr.Khedu Bharti
"प्रतिष्ठा"
Dr. Kishan tandon kranti
बौद्ध धर्म - एक विस्तृत विवेचना
बौद्ध धर्म - एक विस्तृत विवेचना
Shyam Sundar Subramanian
आवो पधारो घर मेरे गणपति
आवो पधारो घर मेरे गणपति
gurudeenverma198
मैं तो महज संघर्ष हूँ
मैं तो महज संघर्ष हूँ
VINOD CHAUHAN
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
कवि रमेशराज
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
मानव  इनको हम कहें,
मानव इनको हम कहें,
sushil sarna
बनारस
बनारस
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
अफ़सोस न करो
अफ़सोस न करो
Dr fauzia Naseem shad
हर राह सफर की।
हर राह सफर की।
Taj Mohammad
*** अहसास...!!! ***
*** अहसास...!!! ***
VEDANTA PATEL
नए साल की नई सुबह पर,
नए साल की नई सुबह पर,
Anamika Singh
*अध्याय 12*
*अध्याय 12*
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-263💐
💐प्रेम कौतुक-263💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
Shweta Soni
गरीब हैं लापरवाह नहीं
गरीब हैं लापरवाह नहीं
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मां के हाथ में थामी है अपने जिंदगी की कलम मैंने
मां के हाथ में थामी है अपने जिंदगी की कलम मैंने
कवि दीपक बवेजा
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
The_dk_poetry
Loading...