★मैं अबला नही लड़ना जानती हूँ★
मैं अबला नही लड़ना जानती हूँ
★क्या खोया क्या पाया ये बतलाना चाहती हूँ,,
गुजरे वक्त की दास्तान सुनाना चाहती हूँ।।
★माँता पिता की दी सीख से घर बहार चमकाना चाहती हूँ,,
कोई रूठें न मुझे से सबको गले लगाना चाहती हूँ।
★ मुसीबत आये तो लड़ना चाहती हूँ,,
मैं अबला जरूर हूँ, पर घुटनें टेकना हारना नही चाहती हूँ।
★ मुफ़्लिश गरीबी में ख्वाईशो को दबाना चाहती हूं,,
अपनों की हर खुशी में शरीक होना चाहती हूँ।
★ख़ुद के सपनों का कोई ख्याल नही करना चाहती हूँ,,,
बस अपनी मासूम बच्चीयों के सपनो को साकार करना चाहती हूँ।
गायत्री सोनू जैन मंदसौर