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9 Jul 2020 · 1 min read

{● 【◆【अँधेरे अभी दिन तेरे हैं ] ◆】●}

अँधेरे अभी दिन तेरे हैं
बढ़ जितना तू बढ़ सकता है।
छा जा ज़मी आसमान तक
ढक उजाले को तू जितना
अभी ढक सकता है।
है हाँथ नही कुछ भी मेरे अभी
तू मर्जी अपनी चला सकता है।
जितना चाहे वजूद को अपने
हर दिशा में तू फैला सकता है।
अभी हाँथ है बाजी तेरे
अभी हाथ है तेरे तीर-कमान
भरना चाहे भर ले तू
अभी चाहे कितनी उड़ान
कि इक दिन उजाला बनकर
ऐसे निकलुँगा के तू मेरी चमक
से ही घबरा जाएगा।
आज मुझे तूने निगला है
कल तू निगला जाएगा।

कवि-वि के विराज़

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 250 Views
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