Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Aug 2020 · 1 min read

||●||साथी||●||

एक साथी
बिछड़ गया है
उसे ढूंढ रहा हूँ।
खोज रहा हूँ
पूछ रहा हूँ।
यादों में उसकी
तड़प रहा हूँ
सिसक रहा हूँ।
मिलने को उससे
तरस रहा हूँ
बड़ा अच्छा
वो इंसान था
मेरे शरीर की जान था।
जीवन पर उसके
मेरा जीवन कुर्बान था।
आज उसकी खोज में
जगह जगह
और गाँव-गाँव
गली-गली और
शहर -शहर मैं बेसुध
होकर टहल रहा हूँ।
जाने वो कैसा
और किस हाल में होगा
स्वतन्त्र घूम रहा होगा
या दुविधाओं
के जाल मे होगा।
जाने जीवन कैसा
उसका व्यतीत हो रहा होगा।
मेरे बिना उसको बहुत
अकेला प्रतीत हो रहा होगा।
उसकी इक़ झलक
पाने को मैं कई मासों से
भटक रहा हूँ।
एक साथी बिछड़
गया है उसे
खोज रहा हूँ।
ढूंढ रहा हूँ।

Language: Hindi
4 Likes · 6 Comments · 289 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दिल जल रहा है
दिल जल रहा है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
विद्रोही प्रेम
विद्रोही प्रेम
Rashmi Ranjan
फर्क नही पड़ता है
फर्क नही पड़ता है
ruby kumari
मत याद करो बीते पल को
मत याद करो बीते पल को
Surya Barman
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
Rekha khichi
🎊🎉चलो आज पतंग उड़ाने
🎊🎉चलो आज पतंग उड़ाने
Shashi kala vyas
मानवीय कर्तव्य
मानवीय कर्तव्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
Sarfaraz Ahmed Aasee
काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
कवि रमेशराज
अद्यावधि शिक्षा मां अनन्तपर्यन्तं नयति।
अद्यावधि शिक्षा मां अनन्तपर्यन्तं नयति।
शक्ति राव मणि
मनुष्य
मनुष्य
Sanjay ' शून्य'
नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें
नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
आदिपुरुष आ बिरोध
आदिपुरुष आ बिरोध
Acharya Rama Nand Mandal
आखिर क्यूं?
आखिर क्यूं?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
#प्रभा कात_चिंतन😊
#प्रभा कात_चिंतन😊
*Author प्रणय प्रभात*
2772. *पूर्णिका*
2772. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शायरी 2
शायरी 2
SURYA PRAKASH SHARMA
-: चंद्रयान का चंद्र मिलन :-
-: चंद्रयान का चंद्र मिलन :-
Parvat Singh Rajput
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
Rj Anand Prajapati
जिन्दगी की शाम
जिन्दगी की शाम
Bodhisatva kastooriya
इंसान ऐसा ही होता है
इंसान ऐसा ही होता है
Mamta Singh Devaa
"इफ़्तिताह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ईश्वर से बात
ईश्वर से बात
Rakesh Bahanwal
*रामपुर दरबार-हॉल में वाद्य यंत्र बजाती महिला की सुंदर मूर्त
*रामपुर दरबार-हॉल में वाद्य यंत्र बजाती महिला की सुंदर मूर्त
Ravi Prakash
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
Smriti Singh
होली के हुड़दंग में ,
होली के हुड़दंग में ,
sushil sarna
बढ़ी हैं दूरियां दिल की भले हम पास बैठे हैं।
बढ़ी हैं दूरियां दिल की भले हम पास बैठे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
रणचंडी बन जाओ तुम
रणचंडी बन जाओ तुम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
संत गाडगे संदेश
संत गाडगे संदेश
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
Subhash Singhai
Loading...