◆वो प्यार भी कैसा बिना तकरार के◆
वो प्यार भी कैसा बिना तकरार के
★ वो मोहब्बत ही क्या,,
जिसमे दर्द न हो,,
वो आशिक ही क्या जो मगरूर न हो।
★ वो समन्दर भी क्या,,
जिसमे चटान न हो।
वो मिट्टी भी क्या जिसमे सुंगंध न हो।
★ वो बगिया भी क्या,,
जिसमें लाल गुलाब न हो।
वो फ़िजा भी क्या,,
जिसमें महकती खुशबू न हो।
★ वो महबूबा भी क्या,,
जिसे महबूब से शिकायत न हो ।
वो प्यार भी क्या जिसमे खट्टी मीठी तकरार न हो।
गायत्री सोनु जैन मन्दसौर