◆ममता के आँचल में सुलाकर माँ लोरी गाती◆
माँ
ममता के आँचल में सुलाकर माँ लोरी गाती,
मीठी मीठी निंदिया तब मुझको आती,
आशीष से जहाँ की खुशियां मिलती,,
सदा खुश रहे बिटिया यही वो कहती।
बोली माँ की कानो को मेरे मधुर लगती,,
कभी उसकी डॉट भी मीठी सी लगती,
चुपके से बुलाकर सीने से लगाती,,
बिटिया मेरी सयानी हमेशा वो कहती,,
जग में लाने वाली ममतामयी माँ मेरी,,
कभी मेरी आँखों से आंसू बहने न देती,,
मेरी जिद को भी स्वीकार करती,
माँ मेरी मुझसे अनुपम प्यार करती,।
आँचल की छांव में मेरा ,
दुःख दर्द सब भूला देती,,
ममता भरा प्यार पाकर ,
जन्नत का सुख मैं अनुभव करती,,
माँ की खनकती चुडियां मुझे भाती,,
करती जब मांग मैं मुझे भी दिलाती।
मेरी मुस्कान के आगे माँ फिदा हो जाती,,
आती मुसीबत तो खुद आगे हो जाती,,
रिश्तो की डोरी माँ संभालती,,
सुख दुःख में माँ मेरी कभी हिम्मत न हारती,।
गायत्री सोनू जैन