■मेरे दर्द का एहसास किसीको न हुआ■
मेरे दर्द का एहसास किसीको न हुआ
★ किसी को मेरे दर्द का एहसास न हुआ,,
जिसे माना अपना वो भी अब बेगाना हुआ।
★ बातें करते करते नही थकते थे ये होंठ,,
आजकल इनका भी मुस्कुराना मुश्किल हुआ।
★ दिन भी गुजर गया अपनी रफ्तार से,,,
मेरा ख्याल पलभर भी उनको न हुआ।
★ आँखों से अश्क़ बह रहे मेरे दर्द में,,
क्यूँ मेरी बेबसी और दर्द का उनको यहसास न हुआ।
★ एक पल भी न रह पाते थे जो,,,
कैसे फिर दिनरात गुजारा उनका आसान हुआ।
★ तबियत कुछ मेरी ठीक नही,,
ये जहाँ कैसे उसके लिए ख़ुशनुमा हुआ।
गायत्री सोनु जैन मन्दसौर