■माँ की सेवा से ही मुझे जन्नत मिला■
मातृत्व का वरदान
जग को निहारने का सौभाग्य मिला,,
मातृत्व का जब वरदान मिला।
ईश्वर जैसा मुझे सहारा मिला,,
जब माँ की ममता का आसरा मिला।
आँचल में छुपकर भूख प्यास सब मिटी,
माँ का जब दुलार मिला
सबकी बुरी नजरों से मुझे बचाती,,
माँ से ही मुझे अपनापन मिला।
सुकून से सो जाती मैं तब ,,
संगीत का मधुर जब उसके गान मिला।
माँ ने असंख्य दर्द सहा तब,,
जब जीवन मुझे खुशहाल मिला
खोख में अपनी पालापोषा,
मुझको तब जीवन दान मिला ।
माँ के अनेकों उपकार मुझ पर,,
कभी ऋण न चुका सकु इतना ख्याल मिला।
माँ के कदमो में जीवन वार जाऊ,
इसकी सेवा में ही मुझे जन्नत मिला।
गायत्री सोनू जैन मन्दसौर