Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Aug 2017 · 3 min read

१– वो कुत्ता ही था ?

हम लोगों ने बहुत से जानवरों को बहुत करीब से देखा है ,कभी कभी उनका व्यवहार हमारी समझ से बाहर होता है नििश्छल और निष्कपट । कुछ देखे सुने अनुभव साझा करने हैं।कहानी सत्य है बस थोड़ा नाटकीय प्रस्तुति है..

( 1)

बहुत दिनों पुरानी बात है कहीं से एक सुंदर गठीला कुत्ता हमारी दालान के बाहर वाली सीढ़ियों के नीचे खाली जगह में आकर बैठ गया,माँ की तरफ आँखों मे ऐसा अपनत्व जगा कर निहारा कि वो अभिभूत हो गईं,रसोई से दो रोटी और दूध एक पुरानी तामचीमी की तश्तरी में साना और परोस दिया,बस फिर क्या था,उसी पल से वो मेरी माँ का मुरीद हो गया,हर पल उनकी सुरक्षा के लिए तैनात ,जब वो खेत पर काम करने जातीं तो वो भी पीछे हो लेता ,जब तक माँ काम करतीं वो निश्चित दूरी पर बैठ रखवाली करता फिर उन्हें घर छोड़ कर वह स्वनिश्चित कमांडो प्रशिक्षण पर निकल पडता ,उस ज़माने में कैमरे आम नहीं थे, ऊपर से गाँव का परिवेश ,निम्न मध्यम वर्गीय परिवार। परन्तु भाई का आँखों देखा वर्णन बताती हूँ -पहले वो खेत की मुंडेर वाली झाडियों की बाड.के ऊपर से इधर-उधर छलाँग लगाता फिर अपनी स्वयं की ऊँचाई से कम ऊँची किसी टहनी के नीचे से उसे बिना हिलाए निकलने का अभ्यास करता,सच इन्सान के बच्चे भी इतनी शिद्दत से स्कूल से मिला गृहकार्य नहीं करते जितनी शिद्दत से वो कुत्ता अभ्यास करता था।
यहाँ तक तो ठीक था ,जाने उसे एक दिन क्या सूझा कि उसने मेरी माँ का कमाउ पूत बनने की ठान ली …
सिलसिला ऐसा शुरु. हुआ- अन्जानी वस्तुएँ कभी लोटा, कभी कटोरी, कभी छोटी मोटी पतीली आँगन में नज़र आने लगीं,माँ परेशान ,कौन यहाँ पटक जाता है?
शुरू में शक पड़ोसी बच्चों के खिलंदडे़पन पर गया।
हम ढूँढ-ढूँढ कर सामान वापस करते ।
हद तो तब हुई जब पता चला कि ये थैंक्स गिविंग तो शरणार्थी कुकुर महाराज की तरफ से हैं , एक दिन तो वो किसी के यहाँ से गाय के लिये रखी गुड़ की पूरी भेली उठा लाये..
दूसरे ही दिन शिकायत आई कि पड़ोसी भाभीजी चूल्हे के सामने रखी टोकरी में बना-बना कर रोटियाँ रख रहीं थीं कि जनाब दबे पाँव दखिल हुए और जब तक वो भाभी कुछ कर्रें ये मुँह में आठ रोटियाँ दबा सीधे हमारे आँगन में समर्पित करने…
रोटी आँगन में छोड़ ये जा और वो जा..
पड़ोसी भाई साहब धमकी दे गये कि आज इस चोर की कमर मैंने तोड़ देनी है..
माँ बोली ,”जो मरज़ी करो ,हमने तो सिखाया नहीं,रोटी इसे मैं खिला देती ह,ूँ,फिर भी करमजला चोरी करके सामान यहाँ ले आता है,हम खुद वापस करने के लिए अलग परेशान होते हैं,पालतू भी तो नहीं है हमारा”…
खैर उस रात पड़ोसी भाई ने पूरा जाल बिछाया,रसोडे़ का द्वार खुला रख पास ही खाट बिछा सोने का नाटक किया,लंबा बासँ बाजू में तैयार रखा कि आने दो आज देखता हूँ कैसे बचेगा…
दूसरे दिन खबर मिली कि पड़ोसी भाई की पीठ में चनका आ गया है..
माँ मिलने गई तो पता चला कि उन्हें अपनी चोट का इतना दुःख नहीं है जितना इस बात का कि जब उन्होंने पूरी ताकत से डंडा मारा तो वो भागा तक नहीं बस उसने ज़रा कमर को लचकाया और डंडा पूरी ताकत से ज़मीन पर टकराया ,वो वहीं निढाल बैठ गए पर कुत्ता ऐसे निकल गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं…
घर आ कर माँ ने कुत्ते को बहुत बुरा भला कहा,,और धमकाया कि चोरी ही करनी है तो मेरा आँगन छोड़ दे..
और उसने चोरी छोड़ दी…..
अपर्णा थपलियाल”रानू”
२२.०८.२०१७

Language: Hindi
540 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
स्वयं छुरी से चीर गल, परखें पैनी धार ।
स्वयं छुरी से चीर गल, परखें पैनी धार ।
Arvind trivedi
जागृति
जागृति
Shyam Sundar Subramanian
स्त्री
स्त्री
Ajay Mishra
चली ये कैसी हवाएं...?
चली ये कैसी हवाएं...?
Priya princess panwar
कर रही हूँ इंतज़ार
कर रही हूँ इंतज़ार
Rashmi Ranjan
कर्म का फल
कर्म का फल
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ये  कहानी  अधूरी   ही  रह  जायेगी
ये कहानी अधूरी ही रह जायेगी
Yogini kajol Pathak
वो लोग....
वो लोग....
Sapna K S
"ऐसा मंजर होगा"
पंकज कुमार कर्ण
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
We all have our own unique paths,
We all have our own unique paths,
पूर्वार्थ
अटल बिहारी मालवीय जी (रवि प्रकाश की तीन कुंडलियाँ)
अटल बिहारी मालवीय जी (रवि प्रकाश की तीन कुंडलियाँ)
Ravi Prakash
लेती है मेरा इम्तिहान ,कैसे देखिए
लेती है मेरा इम्तिहान ,कैसे देखिए
Shweta Soni
मुझे गर्व है अलीगढ़ पर #रमेशराज
मुझे गर्व है अलीगढ़ पर #रमेशराज
कवि रमेशराज
प्रेम के जीत।
प्रेम के जीत।
Acharya Rama Nand Mandal
अबोध प्रेम
अबोध प्रेम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मैंने नींदों से
मैंने नींदों से
Dr fauzia Naseem shad
अपनी सोच
अपनी सोच
Ravi Maurya
कहानी। सेवानिवृति
कहानी। सेवानिवृति
मधुसूदन गौतम
हिन्दी दोहा बिषय- तारे
हिन्दी दोहा बिषय- तारे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बेरोजगारों को वैलेंटाइन खुद ही बनाना पड़ता है......
बेरोजगारों को वैलेंटाइन खुद ही बनाना पड़ता है......
कवि दीपक बवेजा
*खादिम*
*खादिम*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
So, blessed by you , mom
So, blessed by you , mom
Rajan Sharma
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
DrLakshman Jha Parimal
शिव छन्द
शिव छन्द
Neelam Sharma
" बोलियाँ "
Dr. Kishan tandon kranti
महाकाल भोले भंडारी|
महाकाल भोले भंडारी|
Vedha Singh
"मैं एक पिता हूँ"
Pushpraj Anant
नयन कुंज में स्वप्न का,
नयन कुंज में स्वप्न का,
sushil sarna
मानसिकता का प्रभाव
मानसिकता का प्रभाव
Anil chobisa
Loading...